झांसी अस्पताल में आग लगने की दुखद घटना: भारत के स्वास्थ्य सेवा ढांचे के लिए एक चेतावनी
झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में [तारीख] को देर रात भीषण आग लग गई , जिसमें नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई (एनआईसीयू) में 10 नवजात शिशुओं की जान चली गई। इस हृदय विदारक घटना ने न केवल पीड़ितों के परिवारों को झकझोर दिया है, बल्कि भारत के स्वास्थ्य सेवा ढांचे और सार्वजनिक अस्पतालों में अग्नि सुरक्षा मानकों पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
आइए इसके कारणों, परिणामों और भविष्य में ऐसी त्रासदियों को रोकने के लिए क्या बदलाव करने की आवश्यकता है, इस पर गहराई से विचार करें।
घटना का अवलोकन
- स्थान: महारानी लक्ष्मी बाई मेडिकल कॉलेज, झाँसी, उत्तर प्रदेश।
- क्षेत्र: बुंदेलखंड (उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश दोनों की स्वास्थ्य सेवाओं के लिए महत्वपूर्ण)।
- समय: लगभग 10:04 बजे जब एनआईसीयू में आग लगने की सूचना मिली।
- कारण: प्रारंभिक रिपोर्ट से पता चलता है कि ऑक्सीजन कंसंट्रेटर यूनिट में शॉर्ट सर्किट हुआ है ।
एनआईसीयू में 100 से ज़्यादा बच्चे थे , जिनमें से 37 बच्चों को दमकलकर्मियों और अस्पताल के कर्मचारियों ने बचा लिया । दुर्भाग्य से, कमरे में ऑक्सीजन की उच्च सांद्रता के कारण आग तेज़ी से फैलने के कारण 10 नवजात शिशुओं की जान चली गई ।
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आग लगने के कारण
- शॉर्ट सर्किट: भारतीय सार्वजनिक संस्थानों में आग लगने की घटनाओं का सबसे आम कारण।
- पुराना बुनियादी ढांचा: क्षेत्र के सबसे पुराने अस्पतालों में से एक होने के कारण, इसमें आधुनिक अग्नि सुरक्षा उन्नयन का अभाव था।
- अग्नि अलार्म की विफलता: स्थापित सुरक्षा अलार्म कथित रूप से बजने में विफल रहे, जिससे आपातकालीन प्रतिक्रिया में देरी हुई।
- अत्यधिक भीड़: एनआईसीयू अपनी क्षमता से अधिक काम कर रहा था, जिससे बचाव कार्य और भी जटिल हो गया।
सरकार की प्रतिक्रिया
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए कमिश्नर और डीआईजी के नेतृत्व में उच्चस्तरीय जांच के निर्देश दिए हैं।
दो सदस्यीय जांच समिति को 12 घंटे के भीतर विस्तृत रिपोर्ट सौंपने का काम सौंपा गया है ।
स्थिति को नियंत्रित करने और अधिक से अधिक लोगों की जान बचाने के लिए स्थानीय प्रशासन, पुलिस और यहां तक कि सेना द्वारा बचाव अभियान चलाया गया।
भारत में आवर्ती समस्या
यह पहली बार नहीं है जब ऐसी त्रासदी घटी है:
- 2021: महाराष्ट्र के एक अस्पताल में आग लगने से 10 नवजात बच्चों की जान चली गई।
- 2023: दिल्ली के एक बच्चों के अस्पताल में भीषण आग लगने से 7 लोगों की मौत हो गई।
- लगातार आग लगने की घटनाएं: आंकड़ों के अनुसार, भारत में आग दुर्घटनाओं के कारण प्रतिदिन 62 लोगों की जान जाती है ।
इन मामलों में सामान्य कारक प्रणालीगत लापरवाही है , जिसमें पुराना बुनियादी ढांचा, अग्नि सुरक्षा उपायों की कमी और अपर्याप्त निरीक्षण शामिल हैं।
स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं में प्रमुख मुद्दे
- नियमित रखरखाव का अभाव: पुरानी वायरिंग और अतिभारित सर्किट अक्सर शॉर्ट सर्किट का कारण बनते हैं।
- अग्नि सुरक्षा मानदंडों का गैर-अनुपालन: कई अस्पताल आवश्यक अग्नि सुरक्षा उपकरण स्थापित करने और उनका रखरखाव करने में विफल रहते हैं।
- भीड़भाड़: अस्पतालों में क्षमता से अधिक मरीज भर्ती हैं।
- आपातकालीन तैयारी का अभाव: ऐसी आपात स्थितियों से निपटने के लिए कर्मचारियों के लिए अग्नि अभ्यास और उचित प्रशिक्षण का अभाव।
- सुरक्षा निरीक्षण में भ्रष्टाचार: निरीक्षण अक्सर सतही होते हैं, तथा व्यक्तिगत लाभ के लिए सुरक्षा उल्लंघनों को नजरअंदाज कर दिया जाता है।
ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सरकार और स्वास्थ्य अधिकारियों को निम्नलिखित उपाय लागू करने होंगे:
1. अग्नि सुरक्षा मानदंडों का सख्त प्रवर्तन:
- आधुनिक अग्नि संसूचन एवं शमन प्रणालियों की अनिवार्य स्थापना।
- सभी स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं में नियमित सुरक्षा ऑडिट।
2. बुनियादी ढांचे का आधुनिकीकरण:
- अग्नि सुरक्षा मानकों के अनुरूप पुरानी इमारतों का नवीनीकरण करना।
- सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा अवसंरचना के उन्नयन के लिए धन आवंटित करना।
3. आपातकालीन तैयारियां:
- कर्मचारियों और रोगियों के लिए नियमित अग्नि अभ्यास।
- स्वास्थ्य कर्मियों को आपात स्थितियों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए प्रशिक्षण देना।
4. भीड़भाड़ प्रबंधन:
- यह सुनिश्चित करना कि गहन देखभाल इकाइयों में रोगी-से-बिस्तर अनुपात अधिक न हो।
5. जवाबदेही और पारदर्शिता:
- स्वतंत्र निकायों को अग्नि सुरक्षा निरीक्षणों की देखरेख करनी चाहिए।
- अस्पताल प्राधिकारियों द्वारा लापरवाही बरतने पर कठोर दंड का प्रावधान।
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भविष्य के लिए सबक
झांसी में आग लगने की घटना भारत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में व्यवस्थागत खामियों को दूर करने की तत्काल आवश्यकता की एक गंभीर याद दिलाती है। अब समय आ गया है कि सरकार सार्वजनिक अस्पताल के बुनियादी ढांचे को प्राथमिकता दे, अग्नि सुरक्षा मानदंडों का सख्त अनुपालन सुनिश्चित करे और सभी स्तरों पर जवाबदेही सुनिश्चित करे।
ऐसी टाली जा सकने वाली घटनाओं के कारण होने वाली हर जान सिस्टम की विफलता है। इस त्रासदी को वास्तविक और स्थायी सुधारों को लागू करने के लिए एक चेतावनी के रूप में काम करना चाहिए।