भारत का एक्सटर्नल डेट: बढ़ता कर्ज, बढ़ती चुनौतियाँ और इसका असर
भारत का एक्सटर्नल डेट (External Debt) हाल के वर्षों में तेजी से बढ़ा है। वित्त मंत्रालय की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, दिसंबर 2024 तक भारत का कुल बाहरी कर्ज 717 बिलियन डॉलर तक पहुंच चुका है, जो एक साल पहले की तुलना में 10% से अधिक की वृद्धि दिखाता है।
लेकिन यह कर्ज आखिर बढ़ क्यों रहा है? इसका भारत की अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ेगा? और सरकार इसे कैसे मैनेज कर रही है? इस लेख में हम एक्सटर्नल डेट के सभी पहलुओं को विस्तार से समझेंगे।
एक्सटर्नल डेट क्या होता है?
External Debt यानी बाहरी कर्ज वह लोन होता है जो भारत की सरकार, प्राइवेट कंपनियां, और वित्तीय संस्थान विदेशी स्रोतों से लेते हैं। इसे तीन मुख्य श्रेणियों में बांटा जा सकता है:
- सरकारी कर्ज (Public Debt) – सरकार द्वारा विदेशी संस्थाओं जैसे वर्ल्ड बैंक, IMF, जापान सरकार आदि से लिया गया लोन।
- प्राइवेट कॉरपोरेट कर्ज (Private Corporate Borrowing) – भारतीय कंपनियां जैसे Tata, Reliance, Adani जो विदेशों से कर्ज लेती हैं।
- बैंकिंग और नॉन-बैंकिंग वित्तीय संस्थान – भारतीय बैंक और अन्य वित्तीय संस्थाएं जो विदेशी बाजारों से लोन लेते हैं।
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भारत का एक्सटर्नल डेट क्यों बढ़ रहा है?
1️⃣ डॉलर की मजबूती (USD Appreciation)
अमेरिकी डॉलर के मजबूत होने से भारत का विदेशी कर्ज महंगा हो गया है। चूंकि अधिकतर एक्सटर्नल डेट USD में लिया जाता है, इसलिए जब डॉलर महंगा होता है, तो कर्ज का भार अपने आप बढ़ जाता है।
👉 2023-24 में USD/INR 83-88 के बीच रहा, जिससे भारत को अपने ऋण भुगतान के लिए ज्यादा रुपए खर्च करने पड़े।
2️⃣ कॉरपोरेट सेक्टर की उधारी (Increase in Private Borrowing)
- भारतीय कंपनियों ने बड़े पैमाने पर विदेशी कर्ज लिया है।
- वित्त मंत्रालय के अनुसार, सरकारी कर्ज 22% पर स्थिर है, लेकिन नॉन-गवर्नमेंट सेक्टर का कर्ज बढ़ा है।
- Tata, Reliance, और अन्य कंपनियां विदेशी निवेश के लिए कर्ज उठा रही हैं।
3️⃣ अमेरिका में ब्याज दरों में बढ़ोतरी (US Interest Rate Hike)
अमेरिका में फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरें बढ़ाए जाने से विदेशों से कर्ज लेना महंगा हो गया है। इससे भारत की लोन सर्विसिंग कॉस्ट (Debt Servicing Cost) बढ़ गई है।
4️⃣ इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के लिए लोन (Infrastructure Investments)
भारत बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स जैसे बुलेट ट्रेन, स्मार्ट सिटी, और ग्रीन एनर्जी प्रोजेक्ट्स के लिए जापान, एशियन डेवलपमेंट बैंक, और अन्य विदेशी संस्थानों से लोन ले रहा है।
भारत का एक्सटर्नल डेट – डेटा और ट्रेंड्स
डेट-टू-GDP रेशियो (Debt-to-GDP Ratio)
एक्सटर्नल डेट को GDP के अनुपात में मापा जाता है। भारत का Debt-to-GDP रेशियो 2024 में 19.1% तक पहुंच गया है।
✅ कम रेशियो – भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत है और कर्ज मैनेज करने में सक्षम है।
❌ ज्यादा रेशियो – अगर यह लगातार बढ़ता रहा, तो भविष्य में Economic Crisis की स्थिति बन सकती है।
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भारत के लिए एक्सटर्नल डेट के पॉजिटिव और नेगेटिव इम्पैक्ट
✅ सकारात्मक प्रभाव (Positive Impact)
✔ इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट – विदेशी कर्ज से भारत में सड़कें, रेलवे, और बुलेट ट्रेन जैसी परियोजनाएं बन रही हैं।
✔ बिजनेस ग्रोथ – कंपनियां विदेशी कर्ज लेकर अपने बिजनेस को एक्सपैंड कर रही हैं।
✔ फॉरेक्स रिजर्व मजबूत – भारत के पास लगभग 650 बिलियन डॉलर का फॉरेक्स रिजर्व है, जिससे एक्सटर्नल डेट को आसानी से मैनेज किया जा सकता है।
❌ नकारात्मक प्रभाव (Negative Impact)
❗ रुपए की कमजोरी – अगर INR गिरता है, तो भारत को विदेशी कर्ज चुकाने में ज्यादा पैसा खर्च करना पड़ेगा।
❗ अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ीं – इससे भारतीय कंपनियों को लोन चुकाने में दिक्कत हो सकती है।
❗ भविष्य का जोखिम – अगर भारत का एक्सटर्नल डेट बहुत ज्यादा बढ़ गया, तो क्राइसिस जैसी स्थिति बन सकती है।
भारत कैसे मैनेज कर सकता है एक्सटर्नल डेट?
✅ डॉलर-रुपया एक्सचेंज रेट को स्थिर रखना – इसके लिए RBI को विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ाना होगा।
✅ स्थानीय फाइनेंसिंग को बढ़ावा देना – भारतीय कंपनियों को विदेशी कर्ज के बजाय घरेलू स्रोतों से फंडिंग करनी चाहिए।
✅ Interest Rate Monitoring – अमेरिका में बढ़ती ब्याज दरों का ध्यान रखना होगा ताकि कंपनियां ज्यादा महंगा कर्ज ना लें।
✅ फॉरेन इन्वेस्टमेंट को बढ़ाना – भारत में अधिक विदेशी निवेश आए, जिससे डॉलर की उपलब्धता बनी रहे।
निष्कर्ष: क्या भारत का एक्सटर्नल डेट खतरे में है?
अभी के हालात में भारत का एक्सटर्नल डेट "मैनेजेबल" है, लेकिन सतर्कता जरूरी है।
👉 भारत का Debt-to-GDP Ratio 19.1% पर है, जो अभी खतरनाक स्तर पर नहीं है।
👉 अगर विदेशी निवेश अच्छा बना रहा और फॉरेक्स रिजर्व मजबूत रहा, तो कोई बड़ा संकट नहीं आएगा।
👉 लेकिन डॉलर की मजबूती और ब्याज दरों में बढ़ोतरी भारत के लिए चिंता का विषय हो सकते हैं।
📢 आपका क्या विचार है? क्या भारत को अपना एक्सटर्नल डेट और कम करना चाहिए? कमेंट में बताएं!