भारत में जॉब क्राइसिस: क्या बजट 2025 इस समस्या का समाधान करेगा?
भारत में जॉब क्राइसिस एक गंभीर मुद्दा बन चुका है। हाल ही में कई रिपोर्ट्स और सर्वे ने यह दिखाया है कि ग्रेजुएट्स, इंजीनियर्स, और यहाँ तक कि पीएचडी धारक भी बैंक पीओ और क्लर्क जैसी नौकरियों के लिए आवेदन कर रहे हैं। यह समस्या केवल बेरोजगारी तक सीमित नहीं है, बल्कि कम गुणवत्ता वाली नौकरियों (Underemployment) की ओर भी इशारा करती है।
2025 के बजट को लेकर कई विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को इस बार रोज़गार सृजन (Job Creation) पर खास ध्यान देना होगा। इस लेख में हम भारत में जॉब क्राइसिस के कारणों, संभावित समाधानों और सरकार से अपेक्षाओं पर चर्चा करेंगे।
भारत में जॉब क्राइसिस क्यों बढ़ रही है?
1. उच्च शिक्षा और नौकरियों में असंतुलन
भारत में हर साल लाखों युवा ग्रेजुएट होते हैं, लेकिन इंडस्ट्री की ज़रूरतों के हिसाब से उन्हें उपयुक्त नौकरियां नहीं मिलतीं। कई कंपनियां ऐसे कर्मचारियों को चाहती हैं जिनके पास व्यावहारिक कौशल (Practical Skills) हों, जबकि भारतीय शिक्षा प्रणाली अभी भी पारंपरिक पाठ्यक्रम पर आधारित है।
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2. नौकरी निर्माण की धीमी गति (Slow Job Creation Rate)
हालांकि भारत दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, लेकिन जॉब ग्रोथ उतनी तेज़ नहीं है। हालिया इकोनॉमिक टाइम्स प्री-बजट सर्वे में 50% से अधिक लोगों ने स्वीकार किया कि उनकी सबसे बड़ी चिंता "नौकरी निर्माण की धीमी गति" है।
3. महिलाओं की कम भागीदारी (Low Female Labor Force Participation)
भारत में महिला श्रमिक भागीदारी दर केवल 20% के आसपास है, जो कि वैश्विक औसत (लगभग 50%) से बहुत कम है। इसका मुख्य कारण सामाजिक बाधाएं, नौकरी के अवसरों की कमी और कार्यस्थल पर सुरक्षा से जुड़ी चिंताएँ हैं।
4. डेमोग्राफिक डिविडेंड का समाप्त होना
भारत में अभी युवा आबादी का दबदबा है, लेकिन अगले 30 सालों में स्थिति बदलने वाली है। 2050 तक कामकाजी उम्र के 10 लोगों पर 1 बुजुर्ग की जगह केवल 4.6 लोग बचेंगे, जिससे वर्कफोर्स पर अतिरिक्त भार पड़ेगा।
बजट 2025 में रोजगार को लेकर क्या होना चाहिए?
1. कौशल विकास और ट्रेनिंग (Skill Development & Training)
सरकार को इंडस्ट्री-फोकस्ड स्किल ट्रेनिंग पर ज़्यादा निवेश करना होगा। मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत जैसी योजनाओं को मजबूत करने के लिए उच्च गुणवत्ता वाले ट्रेनिंग प्रोग्राम शुरू किए जाने चाहिए।
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2. MSME सेक्टर को बढ़ावा
भारत के माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइज़ (MSME) सेक्टर में सबसे अधिक नौकरियां पैदा होती हैं। यदि सरकार सस्ती फंडिंग, टैक्स छूट और आसान लोन जैसी सुविधाएं बढ़ाए तो इस सेक्टर में रोजगार के अधिक अवसर पैदा हो सकते हैं।
3. महिला श्रम भागीदारी को बढ़ावा
महिलाओं के लिए सुरक्षित कार्यस्थल, फ्लेक्सिबल वर्किंग आवर्स और वर्क-फ्रॉम-होम जैसी सुविधाओं को बढ़ावा देकर उनके श्रम बाजार में हिस्सेदारी बढ़ाई जा सकती है।
4. इंफ्रास्ट्रक्चर और हेल्थ सेक्टर में निवेश
अमेरिका और चीन जैसे देशों में देखा गया है कि जब सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर (Infrastructure) और हेल्थकेयर (Healthcare) में निवेश करती है, तो उससे बड़ी संख्या में नौकरियां पैदा होती हैं। भारत को भी इस दिशा में अधिक फंडिंग करनी चाहिए।
5. नई टेक्नोलॉजी और AI पर ध्यान
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और ऑटोमेशन जैसे क्षेत्रों में निवेश करने से नई नौकरियां पैदा हो सकती हैं। सरकार को AI, रोबोटिक्स, और मशीन लर्निंग जैसी तकनीकों पर जोर देना चाहिए ताकि भविष्य में भारत एक टेक्नोलॉजी हब बन सके।
क्या बजट 2025 इस समस्या का समाधान करेगा?
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट 2025 में इस गंभीर समस्या पर ध्यान देंगी? पिछले कुछ वर्षों में सरकार ने कई योजनाएं शुरू की हैं, लेकिन उनका प्रभाव अभी तक सीमित ही रहा है। अगर इस बार बजट में रोज़गार निर्माण पर फोकस किया जाता है, तो यह भारत के आर्थिक विकास में एक मील का पत्थर साबित हो सकता है।
बजट 2025 के लिए संभावित घोषणाएं
✅ MSME सेक्टर के लिए विशेष पैकेज
✅ इंफ्रास्ट्रक्चर और हेल्थकेयर सेक्टर में बड़े निवेश
✅ महिलाओं के लिए रोजगार प्रोत्साहन योजना
✅ AI और टेक्नोलॉजी सेक्टर में टैक्स इंसेंटिव
✅ इंडस्ट्री-केंद्रित स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम
निष्कर्ष
अगर भारत को विकसित अर्थव्यवस्था (Developed Economy) बनना है, तो उसे जल्द से जल्द रोज़गार निर्माण (Job Creation) पर ध्यान देना होगा। बजट 2025 में सरकार को स्किल ट्रेनिंग, MSME सपोर्ट, महिला श्रम भागीदारी और टेक्नोलॉजी इनोवेशन जैसे क्षेत्रों पर फोकस करना चाहिए।
यदि सरकार सही नीतियाँ अपनाती है, तो भारत डेमोग्राफिक डिविडेंड का अधिकतम लाभ उठा सकता है और एक हाई इनकम इकॉनमी बनने की दिशा में आगे बढ़ सकता है। अब देखना यह होगा कि निर्मला सीतारमण बजट 2025 में जॉब क्राइसिस को कितनी गंभीरता से लेती हैं।
क्या आप मानते हैं कि इस बार का बजट भारत की रोजगार समस्या को हल कर पाएगा? अपने विचार हमें कमेंट में बताएं!