जस्टिन ट्रूडो का इस्तीफा: भारत-कनाडा संबंधों के बिगड़ने और राजनीतिक उठापटक का विश्लेषण
जस्टिन ट्रूडो, जो 2015 से कनाडा के प्रधानमंत्री पद पर काबिज थे, ने हाल ही में अपने पद से इस्तीफा दे दिया। यह इस्तीफा न केवल कनाडा की आंतरिक राजनीति बल्कि भारत-कनाडा संबंधों के बिगड़ते हालात का भी परिणाम है। ट्रूडो के इस्तीफे के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण और घटनाएं छुपी हुई हैं। इस लेख में हम इन कारणों का विश्लेषण करेंगे और जानेंगे कि कैसे भारत-कनाडा के बीच खालिस्तानी मुद्दे और ट्रंप के साथ बढ़ते तनाव ने इस स्थिति को जन्म दिया।
1. भारत-कनाडा संबंधों में तनाव
2023 में जब जस्टिन ट्रूडो भारत में G20 समिट में शामिल हुए, तो उनके साथ खालिस्तानी समर्थकों के मुद्दे को लेकर विवाद खड़ा हो गया। भारत ने साफ तौर पर कहा कि कनाडा में खालिस्तानी समर्थकों को पनाह देना भारत की सुरक्षा के लिए खतरा है। ट्रूडो के इस मामले में नर्म रवैये ने भारतीय सरकार को नाराज किया और इससे भारत-कनाडा संबंधों में खटास आ गई।
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2. निज्जर की हत्या और ट्रूडो का भारत पर आरोप
सितंबर 2023 में कनाडा में खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या हुई। ट्रूडो ने इस हत्या के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने संसद में खड़े होकर भारत पर गंभीर आरोप लगाए, लेकिन ठोस सबूत पेश नहीं कर सके। भारत ने इन आरोपों को खारिज कर दिया और दोनों देशों के बीच राजनयिक तनाव बढ़ गया।
3. ट्रंप और एलन मस्क की प्रतिक्रिया
ट्रंप और एलन मस्क ने ट्रूडो की नीतियों और उनकी सरकार का मजाक बनाना शुरू कर दिया। ट्रंप ने यहां तक कह दिया कि कनाडा अमेरिका का 51वां राज्य बन जाए। एलन मस्क ने भी ट्रूडो के जल्द इस्तीफे की भविष्यवाणी की थी, जो सच साबित हुई। इन तानों ने ट्रूडो की सार्वजनिक छवि को और कमजोर कर दिया।
4. जगमीत सिंह का समर्थन वापस लेना
जगमीत सिंह, जो न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता हैं, ने सितंबर 2024 में ट्रूडो की सरकार से समर्थन वापस ले लिया। यह ट्रूडो के लिए बड़ा झटका था क्योंकि उनकी सरकार अल्पमत में आ गई। इसके बाद कई लिबरल सांसदों ने भी ट्रूडो का साथ छोड़ दिया, जिससे उनकी सरकार पूरी तरह से हिल गई।
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5. कनाडा में आर्थिक और सामाजिक अस्थिरता
कनाडा में बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी, और आव्रजन नीतियों को लेकर जनता में असंतोष बढ़ रहा था। ट्रूडो की सरकार इन मुद्दों को संभालने में विफल रही, जिससे उनकी लोकप्रियता में गिरावट आई। एक सर्वेक्षण में 69% कनाडाई नागरिकों ने ट्रूडो से इस्तीफा देने की मांग की।
भविष्य की संभावनाएं
ट्रूडो के इस्तीफे के बाद कनाडा में जल्दी चुनाव होने की संभावना है। कंजरवेटिव पार्टी और अन्य दक्षिणपंथी दल इस मौके का फायदा उठाने की कोशिश करेंगे। हालांकि, भारत-कनाडा संबंधों में सुधार की उम्मीद तभी की जा सकती है जब नई सरकार खालिस्तानी मुद्दे पर सख्त रुख अपनाए और भारत के साथ बेहतर संबंध स्थापित करने की दिशा में कदम उठाए।
निष्कर्ष
जस्टिन ट्रूडो का इस्तीफा कई राजनीतिक, आर्थिक, और अंतरराष्ट्रीय घटनाओं का परिणाम है। भारत और कनाडा के बीच बिगड़ते संबंधों ने इस इस्तीफे में अहम भूमिका निभाई है। अब देखना यह होगा कि नई कनाडाई सरकार इन चुनौतियों का कैसे सामना करती है और भारत के साथ संबंध सुधारने में क्या कदम उठाती है।