क्या भारत में यूएस एड (USAID) के फंड्स से चुनावों में हस्तक्षेप हुआ? जानिए पूरी सच्चाई
हाल ही में इलन मस्क के "डोज" (Department of Government Efficiency) द्वारा उजागर की गई रिपोर्ट्स ने एक बड़ा राजनीतिक भूचाल ला दिया है। इन रिपोर्ट्स में खुलासा हुआ कि यूएस एड (USAID) ने भारत में 21 मिलियन डॉलर (लगभग 200 करोड़ रुपये) चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करने के लिए खर्च किए। इस खबर ने कई भारतीयों को चौंका दिया है, क्योंकि यह सवाल खड़ा करता है कि क्या अमेरिका ने भारतीय लोकतंत्र में हस्तक्षेप किया है?
यूएस एड (USAID) क्या है?
यूएस एड (United States Agency for International Development) एक अमेरिकी सरकारी एजेंसी है, जिसे 1961 में स्थापित किया गया था। इसका उद्देश्य विकासशील देशों में लोकतंत्र को मजबूत करना, गरीबी दूर करना और मानवीय सहायता प्रदान करना बताया जाता है। लेकिन कई बार यह एजेंसी विवादों में घिर चुकी है, क्योंकि इसके फंड्स का इस्तेमाल राजनीतिक हस्तक्षेप और सरकारों को प्रभावित करने के लिए किया गया है।
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भारत में यूएस एड का पैसा कहां खर्च हुआ?
इलन मस्क के डोज विभाग द्वारा जारी दस्तावेजों के अनुसार, यूएस एड ने भारत में 21 मिलियन डॉलर खर्च किए। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया कि यह पैसा वोटर टर्नआउट बढ़ाने और "इंडिपेंडेंट वॉइसेज" को मजबूत करने के लिए दिया गया था। लेकिन सवाल यह उठता है कि –
- वोटर टर्नआउट बढ़ाने के लिए अमेरिका को भारत में पैसा खर्च करने की जरूरत क्यों पड़ी?
- "इंडिपेंडेंट वॉइसेज" को मजबूत करने का असली मतलब क्या है?
- क्या यह पैसा किसी खास राजनीतिक दल या एनजीओ को फायदा पहुंचाने के लिए दिया गया?
क्या भारत में विदेशी हस्तक्षेप हो रहा है?
यह पहली बार नहीं है जब भारत में विदेशी फंडिंग को लेकर सवाल उठे हैं। कई बार देखा गया है कि एनजीओ और मीडिया हाउस विदेशी फंडिंग पर निर्भर होते हैं, और ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है कि वे किसके इशारे पर काम कर रहे हैं।
यूएस एड का पैसा न केवल भारत में, बल्कि बांग्लादेश (29 मिलियन डॉलर) और नेपाल (20 मिलियन डॉलर) जैसे देशों में भी राजनीतिक बदलावों को प्रभावित करने के लिए खर्च किया गया।
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डोनाल्ड ट्रंप का बड़ा खुलासा
जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका दौरे पर गए थे, तब एक पत्रकार ने डोनाल्ड ट्रंप से पूछा कि क्या यूएस एड ने 2024 के भारतीय चुनावों में हस्तक्षेप किया? इस पर ट्रंप ने पहले "हां, हो सकता है" कहकर चौंका दिया, लेकिन फिर अपनी बात को संभालने की कोशिश की।
ट्रंप के बयान से यह स्पष्ट होता है कि अमेरिकी सरकार के पैसे का इस्तेमाल दूसरे देशों की राजनीति को प्रभावित करने के लिए किया गया है।
भारत सरकार को क्या करना चाहिए?
- भारत को इस मामले की गहन जांच करनी चाहिए और पता लगाना चाहिए कि यह पैसा कहां गया और किस उद्देश्य से खर्च किया गया।
- अगर चुनावों में किसी प्रकार का विदेशी हस्तक्षेप हुआ है, तो इसे रोकने के लिए कड़े कानून बनाए जाने चाहिए।
- विदेशी फंडिंग वाले एनजीओ और संगठनों की जांच होनी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे भारतीय लोकतंत्र को प्रभावित न करें।
निष्कर्ष
भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और कोई भी बाहरी ताकत इसके चुनावों को प्रभावित नहीं कर सकती। लेकिन यूएस एड द्वारा भारत में 21 मिलियन डॉलर खर्च करने की खबर ने संदेह पैदा कर दिया है। अब यह भारत सरकार और नागरिकों पर निर्भर करता है कि वे इस मुद्दे पर गंभीरता से चर्चा करें और आवश्यक कदम उठाएं।
आपका क्या विचार है? क्या भारत को इस मामले की जांच करनी चाहिए? कमेंट में अपनी राय जरूर दें।