दिल्ली लिकर पॉलिसी स्कैम: CAG रिपोर्ट में 2000 करोड़ के नुकसान का खुलासा
दिल्ली सरकार की लिकर पॉलिसी 2021-22 एक बार फिर चर्चा में है। हाल ही में पेश की गई CAG (Comptroller and Auditor General) रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इस शराब नीति के कारण दिल्ली सरकार को 2000 करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान हुआ है। इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद विधानसभा में आम आदमी पार्टी (AAP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच जबरदस्त हंगामा देखने को मिला।
इस लेख में हम आपको विस्तार से बताएंगे कि CAG रिपोर्ट में क्या आरोप लगाए गए हैं, 2000 करोड़ रुपये का आंकड़ा कहां से आया है, और इस विवाद के राजनीतिक प्रभाव क्या हो सकते हैं।
CAG रिपोर्ट में क्या खुलासा हुआ?
CAG रिपोर्ट में दिल्ली लिकर पॉलिसी को लेकर कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं:
1. 941 करोड़ रुपये का नुकसान
- दिल्ली के कुछ ज़ोन ऐसे थे जहां शराब की दुकानें खोलना प्रतिबंधित था, लेकिन इसके बावजूद वहां शराब के ठेके खोलने की अनुमति दी गई।
- हालांकि, इन इलाकों में लाइसेंस फीस को माफ कर दिया गया, जिससे दिल्ली सरकार को 941 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
- कई लिकर शॉप्स के मालिकों ने अपना लाइसेंस टर्म पूरा होने से पहले ही सरेंडर कर दिया, लेकिन सरकार ने उन लाइसेंसों को फिर से टेंडर नहीं किया।
- इस वजह से सरकार को भारी राजस्व घाटा झेलना पड़ा।
3. 144 करोड़ रुपये का नुकसान
- COVID-19 महामारी के दौरान शराब की दुकानों को कुछ छूट (waiver) दी गई थी, जिससे दिल्ली सरकार को 144 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
- लिकर पॉलिसी में कौन-कौन से नियम तोड़े गए?
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CAG रिपोर्ट में कहा गया कि दिल्ली सरकार ने कई नियमों का उल्लंघन किया।
✅ दिल्ली मास्टर प्लान 2021 का उल्लंघन
- सरकार ने उन इलाकों में भी शराब की दुकानें खोलने की अनुमति दी जहां इसकी मनाही थी।
✅ डीडीए (DDA) की गाइडलाइंस को नज़रअंदाज किया गया
- 16 नवंबर 2021 को दिल्ली डेवलपमेंट अथॉरिटी (DDA) ने इन इलाकों में ठेके खोलने की अनुमति नहीं दी थी, लेकिन सरकार ने फिर भी अपनी एक्साइज पॉलिसी में इसे शामिल कर लिया।
✅ लाइसेंस देने में अनियमितता
- कई शराब दुकानों को बिना उचित दस्तावेज़ों और बिना सही जांच के लाइसेंस जारी कर दिए गए।
- लाइसेंस धारकों का वित्तीय रिकॉर्ड और आपराधिक पृष्ठभूमि भी ठीक से जांचा नहीं गया।
✅ IMFL ब्रांड्स की मनमानी कीमतें
- IMFL (Indian Made Foreign Liquor) ब्रांड्स को दाम तय करने की पूरी छूट दे दी गई।
- इससे शराब की कीमतें बढ़ीं और सरकार को टैक्स राजस्व में नुकसान हुआ।
✅ शराब की गुणवत्ता पर सवाल
- CAG रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि कई ब्रांड्स की गुणवत्ता जांच सही लैब में नहीं हुई।
- शराब में हानिकारक केमिकल्स और भारी धातुओं की मौजूदगी के संकेत भी मिले।
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इस रिपोर्ट के बाद राजनीतिक बवाल क्यों मचा?
👉 दिल्ली विधानसभा में आम आदमी पार्टी (AAP) और भाजपा (BJP) आमने-सामने आ गई।
👉 AAP का कहना है कि यह रिपोर्ट सरकार के खिलाफ एक साजिश है, जबकि BJP इसे AAP सरकार का सबसे बड़ा घोटाला बता रही है।
👉 विधानसभा में हंगामे के बाद 15 AAP विधायकों को सस्पेंड कर दिया गया।
👉 AAP का आरोप था कि नई सरकार ने उनके नेताओं की तस्वीरें हटाई, जबकि BJP ने इसका खंडन किया।
आगे क्या होगा?
- भाजपा अब अन्य CAG रिपोर्ट्स को भी विधानसभा में पेश करने वाली है।
- आम आदमी पार्टी पर कानूनी कार्रवाई की संभावना बढ़ सकती है।
- दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पहले से ही इस घोटाले में जेल में हैं।
- अरविंद केजरीवाल पर भी CBI या ED की जांच तेज हो सकती है।
निष्कर्ष
👉 CAG रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली की शराब नीति से सरकार को 2000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
👉 इस पॉलिसी में कई नियमों का उल्लंघन किया गया, जैसे कि अवैध लाइसेंस देना और शराब की दुकानों की कीमतों को मनमाने ढंग से तय करने देना।
👉 अब यह मामला राजनीतिक रूप से गर्मा गया है और भाजपा इस मुद्दे को विधानसभा चुनावों तक उठाने वाली है।