भारत सरकार ने AI टूल्स पर लगाई रोक: ChatGPT और DeepSeek के इस्तेमाल पर प्रतिबंध क्यों?
हाल ही में भारत सरकार ने ChatGPT, DeepSeek जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) टूल्स के उपयोग पर गंभीर चिंता जताई है। वित्त मंत्रालय ने अपने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे सरकारी कंप्यूटरों और डिवाइसेज़ पर इन AI टूल्स का उपयोग न करें।
इस आदेश के पीछे डेटा सुरक्षा और गोपनीयता को लेकर बढ़ती चिंताएं हैं। इसी तरह की नीतियाँ अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और यूरोपीय देशों में भी अपनाई जा रही हैं। आइए विस्तार से समझते हैं कि यह प्रतिबंध क्यों लगाया गया, DeepSeek AI क्या है, और भारत का AI को लेकर आगे क्या प्लान है।
भारत सरकार ने ChatGPT और DeepSeek पर रोक क्यों लगाई?
भारत सरकार की इस पाबंदी के पीछे मुख्यतः तीन बड़े कारण हैं:
1. डेटा सुरक्षा और गोपनीयता जोखिम
AI टूल्स सरकारी डिवाइसेज़ पर इस्तेमाल होने पर संवेदनशील सरकारी दस्तावेजों और डेटा को एक्सेस कर सकते हैं। इससे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा हो सकता है।
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2. DeepSeek AI और चीन का कनेक्शन
DeepSeek AI को हाल ही में चीन द्वारा लॉन्च किया गया है। इसे DeepSeek R1 नाम से जाना जाता है। चूंकि चीन में डेटा शेयरिंग कानून काफी सख्त हैं, ऐसे में DeepSeek पर भारत सरकार को भरोसा नहीं है कि इसका डेटा चीन की सरकार या खुफिया एजेंसियों तक नहीं जाएगा।
3. अन्य देशों द्वारा भी AI टूल्स पर रोक
भारत के अलावा कई अन्य देश भी AI टूल्स के संभावित खतरे को लेकर अलर्ट हो चुके हैं:
- अमेरिका: अमेरिका की नेवी, पेंटागन और नासा ने अपने कर्मचारियों को ChatGPT और DeepSeek जैसे AI टूल्स के उपयोग से मना किया है।
- यूरोप: इटली, फ्रांस, बेल्जियम और आइसलैंड जैसे देशों ने DeepSeek पर रोक लगाई है।
- ताइवान: वहां की सरकार ने सरकारी एजेंसियों और स्कूलों में DeepSeek AI को बैन कर दिया है।
- ऑस्ट्रेलिया: सरकारी वर्कर्स के लिए DeepSeek AI के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाया गया है।
DeepSeek AI क्या है?
DeepSeek AI एक Chinese AI टूल है, जो ChatGPT की तरह काम करता है। इसे जनवरी 2025 में लॉन्च किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य है नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग (NLP) और AI चैटबॉट सर्विस प्रदान करना।
DeepSeek को लेकर सबसे बड़ा खतरा यह है कि इसका डेटा चीन में स्टोर होता है। चीन के कानूनों के अनुसार, किसी भी कंपनी को सरकार को डेटा देना अनिवार्य होता है। यही कारण है कि भारत और अन्य देश DeepSeek को लेकर सतर्क हो गए हैं।
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क्या भारत AI में आत्मनिर्भर बनने की तैयारी कर रहा है?
भारत सरकार भी अपने AI सिस्टम्स विकसित करने की योजना बना रही है। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि सरकार AI डेटा को स्थानीय भारतीय सर्वर पर स्टोर करने की योजना बना रही है, ताकि विदेशी कंपनियों को भारतीय यूज़र्स का डेटा एक्सेस करने से रोका जा सके।
इसके लिए भारत ने ₹10,000 करोड़ का "India AI Mission" लॉन्च किया है, जिससे देश में कम लागत वाले AI मॉडल तैयार किए जा सकें।
सैम ऑल्टमैन का भारत दौरा और AI पर भारत की रणनीति
OpenAI के CEO सैम ऑल्टमैन हाल ही में भारत आए थे और उन्होंने अश्विनी वैष्णव से मुलाकात की। उनकी यात्रा के दौरान भारत सरकार ने सस्ते AI मॉडल विकसित करने पर जोर दिया, ठीक उसी तरह जैसे भारत ने कम लागत में स्पेस मिशन लॉन्च किए हैं।
हालांकि, सैम ऑल्टमैन पहले कह चुके हैं कि भारत के स्टार्टअप्स OpenAI जैसी कंपनियों से मुकाबला नहीं कर सकते। लेकिन अब उनका कहना है कि उनकी सोच गलत थी और भारत AI क्षेत्र में बड़ी प्रगति कर सकता है।
निष्कर्ष: AI टूल्स पर प्रतिबंध कितना जरूरी?
भारत सरकार का ChatGPT और DeepSeek पर प्रतिबंध लगाना एक सुरक्षा के लिहाज से जरूरी कदम है। चूंकि AI टूल्स का गलत इस्तेमाल डेटा चोरी और साइबर हमलों के लिए किया जा सकता है, इसलिए सावधानी बरतना आवश्यक है।
लेकिन भारत को अपने खुद के AI सिस्टम विकसित करने की भी जरूरत है। सरकार की India AI Mission योजना इसी दिशा में एक सकारात्मक कदम है।