ममता बनर्जी का बड़ा आरोप: क्या वेस्ट बंगाल में वोटर फ्रॉड हो रहा है?
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाल ही में चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि 2026 में होने वाले वेस्ट बंगाल चुनावों को प्रभावित करने के लिए बड़े स्तर पर वोटर फ्रॉड किया जा रहा है। उन्होंने दावा किया है कि दो राज्यों में सेम वोटर आईडी नंबर पाए गए हैं, जिससे चुनावी धांधली की आशंका बढ़ गई है। चुनाव आयोग ने इस पर सफाई भी दी है, लेकिन इस पूरे विवाद को समझना जरूरी है।
क्या है वोटर आईडी फ्रॉड का मामला?
ममता बनर्जी का आरोप है कि कुछ लोगों की इलेक्टर्स फोटो आइडेंटिटी कार्ड (EPIC) संख्या दो राज्यों में समान पाई गई है। उदाहरण के लिए, किसी व्यक्ति की वोटर आईडी दिल्ली में है और उसी आईडी नंबर से वेस्ट बंगाल में भी एक आईडी मौजूद है। अगर यह सही है, तो यह चुनावी प्रक्रिया में गंभीर गड़बड़ी को दर्शाता है।
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EPIC नंबर क्या होता है?
EPIC नंबर एक यूनिक अल्फा-न्यूमेरिक कोड होता है, जो हर मतदाता की पहचान के लिए जारी किया जाता है। यह कोड 10 अंकों का होता है:
पहले 3 अक्षर अल्फाबेट होते हैं।
अगले 7 अंक संख्याएं होती हैं।
यह संख्या चुनाव आयोग के ERO-Net पोर्टल के माध्यम से दी जाती है और 2017 के बाद से इसे डिजिटली मैनेज किया जा रहा है।
क्या कहता है चुनाव आयोग?
चुनाव आयोग ने ममता बनर्जी के आरोपों को लेकर यह स्पष्टीकरण दिया है:
2017 से पहले भारत में वोटर आईडी डेटाबेस को डिजिटली लिंक नहीं किया गया था। इस कारण अलग-अलग राज्यों में डुप्लिकेट EPIC नंबर जारी होने की संभावना थी।
एक ही राज्य में दो मतदाताओं के EPIC नंबर समान नहीं हो सकते, लेकिन अलग-अलग राज्यों में ऐसा संभव हो सकता है।
2017 के बाद ERO-Net 2.0 प्लेटफॉर्म लॉन्च किया गया, जिससे सभी वोटर आईडी यूनिक हो गई हैं और नई आईडी में डुप्लिकेट नहीं हैं।
पुराने डुप्लिकेट EPIC नंबर को भी हटाने की प्रक्रिया जारी है।
क्या वाकई बंगाल में चुनावी धांधली हो रही है?
टीएमसी का कहना है कि बीजेपी और चुनाव आयोग मिलकर फेक वोटर आईडी तैयार कर रहे हैं ताकि 2026 के चुनावों में परिणाम प्रभावित किए जा सकें। हालांकि, चुनाव आयोग ने इस दावे को खारिज कर दिया और कहा कि नए सिस्टम में ऐसी गड़बड़ी संभव नहीं है।
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निष्कर्ष
वोटर आईडी फ्रॉड का मामला गंभीर चुनावी मुद्दा बन गया है, खासकर जब अगले साल वेस्ट बंगाल में चुनाव होने हैं। ममता बनर्जी के आरोपों के बाद इस पर राजनीतिक बहस शुरू हो गई है। हालांकि, चुनाव आयोग ने स्थिति को स्पष्ट करने की कोशिश की है, लेकिन देखना होगा कि क्या विपक्ष इसे स्वीकार करता है या नहीं।
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