तमिलनाडु बजट से हटाए गए रुपी सिंबल पर विवाद: निर्मला सीतारमण की तीखी प्रतिक्रिया
तमिलनाडु सरकार के बजट में भारतीय रुपये (₹) का सिंबल हटाने का फैसला एक बड़े राजनीतिक और सांस्कृतिक विवाद का कारण बन गया है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस कदम को खतरनाक मानसिकता करार दिया है और इसे अलगाववादी प्रवृत्ति से जोड़ दिया है। इस मुद्दे पर डीएमके सरकार की मंशा पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
तमिलनाडु सरकार ने क्यों हटाया रुपी का सिंबल?
तमिलनाडु सरकार ने अपने बजट दस्तावेज़ में ₹ (रुपी सिंबल) की जगह तमिल अक्षर 'ரு' (Ru) का उपयोग किया। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन के ऑफिस से यह स्पष्ट किया गया कि तमिल भाषा को अधिक प्राथमिकता देने के लिए यह निर्णय लिया गया।
हालांकि, इस कदम से हिंदी और देवनागरी लिपि को लेकर विवाद फिर से उभर आया है। सरकार का यह कदम भाषा को लेकर चल रहे संघर्ष का एक और उदाहरण बन गया है।
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निर्मला सीतारमण का क्या कहना है?
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने डीएमके सरकार के इस फैसले पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि "यह कदम एक खतरनाक मानसिकता को दर्शाता है, जो राष्ट्रीय प्रतीकों को अस्वीकार करने की प्रवृत्ति को बढ़ावा देता है।" उन्होंने यह भी याद दिलाया कि रुपी का यह सिंबल 2010 में तमिलनाडु के ही एक डिजाइनर उदय धर्मलिंगम द्वारा तैयार किया गया था, जिसे पूरे देश ने अपनाया था।
सीतारमण के अनुसार, रुपये का चिन्ह किसी भाषा से संबंधित नहीं है, बल्कि यह भारतीय अर्थव्यवस्था और उसकी वैश्विक पहचान का प्रतीक है।
रुपी सिंबल को लेकर विवाद क्यों बढ़ रहा है?
1. भाषाई राजनीति और हिंदी विरोध
तमिलनाडु में हिंदी के विरोध का एक लंबा इतिहास रहा है। राज्य की सरकार और वहां के राजनीतिक दलों ने कई मौकों पर हिंदी थोपे जाने का विरोध किया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) को भी तमिलनाडु ने अब तक स्वीकार नहीं किया है, क्योंकि इसमें तीन भाषा फार्मूला लागू करने का प्रावधान है।
2. क्षेत्रीय भाषाओं को अधिक प्राथमिकता देने की प्रवृत्ति
तमिलनाडु सरकार का मानना है कि स्थानीय भाषा को प्राथमिकता देने से क्षेत्रीय संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा। इसी कारण उन्होंने देवनागरी लिपि की जगह तमिल लिपि को अपनाने का निर्णय लिया है।
3. संभावित राष्ट्रीय प्रभाव
अगर तमिलनाडु की तर्ज पर अन्य राज्य भी अपने बजट में स्थानीय लिपि और प्रतीकों को अपनाने लगें, तो इससे भारतीय रुपये की एकरूपता और पहचान पर असर पड़ सकता है।
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तमिलनाडु की जनता और विशेषज्ञों की राय
तमिलनाडु के वित्त मंत्री ने इस मुद्दे को भाषा और संस्कृति से जोड़ते हुए कहा कि यह राज्य की स्वतंत्र पहचान को दर्शाने का प्रयास है। वहीं, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को राष्ट्रीय प्रतीकों से छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए।
डिजाइनर उदय धर्मलिंगम ने भी इस पर आश्चर्य जताया कि जिस सिंबल को तमिलनाडु के ही एक व्यक्ति ने बनाया था, उसे अब राज्य की सरकार अस्वीकार कर रही है।
क्या यह विवाद आगे बढ़ेगा?
भाषा और राष्ट्रीय प्रतीकों से जुड़े विवाद अक्सर राजनीतिक मुद्दे बन जाते हैं। तमिलनाडु सरकार के इस कदम से भविष्य में अन्य राज्यों में भी क्षेत्रीय पहचान को लेकर बहस छिड़ सकती है।
निष्कर्ष
तमिलनाडु सरकार द्वारा ₹ (रुपी सिंबल) को हटाना केवल एक प्रशासनिक निर्णय नहीं है, बल्कि यह भाषा और क्षेत्रीय पहचान को लेकर गहराते विवाद को दर्शाता है। निर्मला सीतारमण की प्रतिक्रिया इस विवाद को और बड़ा बना सकती है। अब देखने वाली बात यह होगी कि केंद्र सरकार इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाती है और क्या यह विवाद अन्य राज्यों तक भी फैलता है।
क्या आप इस फैसले से सहमत हैं? अपनी राय कमेंट सेक्शन में दें!