डोनाल्ड ट्रंप का सेकेंडरी टैरिफ प्लान: भारत और वैश्विक अर्थव्यवस्था पर असर
डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में अपने टैरिफ नीतियों में एक बड़ा बदलाव किया है, जिससे वैश्विक व्यापार और ऊर्जा बाजार में हलचल मच गई है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति और 2024 के चुनावों में रिपब्लिकन उम्मीदवार ट्रंप ने सेकेंडरी टैरिफ की घोषणा की है, जिसका सीधा असर भारत, चीन और अन्य देशों पर पड़ सकता है। इस आर्टिकल में विस्तार से समझेंगे कि यह नीति क्या है, भारत पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा और वैश्विक स्तर पर क्या बदलाव देखने को मिल सकते हैं।
सेकेंडरी टैरिफ क्या है?
अभी तक अमेरिका किसी देश से आयात होने वाले सामान पर ही टैरिफ लगाता था, लेकिन सेकेंडरी टैरिफ का मतलब है कि अगर कोई भी देश वेनेजुएला जैसे प्रतिबंधित देश से तेल खरीदता है, तो उस देश पर भी अमेरिका अतिरिक्त टैरिफ लगा सकता है। उदाहरण के लिए, अगर भारत वेनेजुएला से क्रूड ऑयल खरीदता है, तो अमेरिका भारत के निर्यात पर 25% का अतिरिक्त शुल्क लगा सकता है।
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डोनाल्ड ट्रंप वेनेजुएला को क्यों टारगेट कर रहे हैं?
वेनेजुएला लंबे समय से अमेरिका के प्रतिबंधों का सामना कर रहा है। डोनाल्ड ट्रंप का मानना है कि वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मदुरो आपराधिक संगठनों का समर्थन कर रहे हैं, जो अमेरिका में ड्रग तस्करी में लिप्त हैं। इसके चलते अमेरिका ने वेनेजुएला की अर्थव्यवस्था को कमजोर करने के लिए पहले ही कई आर्थिक प्रतिबंध (Sanctions) लगा रखे हैं। अब ट्रंप यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि कोई भी देश वेनेजुएला से तेल न खरीदे, जिससे उसकी अर्थव्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो जाए।
भारत पर सेकेंडरी टैरिफ का प्रभाव
भारत के लिए यह नीति एक बड़ी चुनौती बन सकती है।
भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए सस्ता तेल खरीदने की कोशिश करता है, और वेनेजुएला इससे काफी सस्ते दामों पर तेल बेचता है।
2024 में भारत ने 22 मिलियन बैरल वेनेजुएला से खरीदा, जो उसके कुल आयात का 1.5% था।
2013 में भारत अपने कुल तेल आयात का 10% वेनेजुएला से खरीदता था, लेकिन अमेरिका के दबाव में यह घटकर 2024 में 1.5% रह गया।
अब सवाल उठता है कि क्या भारत वेनेजुएला से तेल खरीदना जारी रखेगा या अमेरिका के टैरिफ के डर से इसे कम करेगा।
भारत के लिए एक और समस्या यह है कि अमेरिका उसका सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, और भारत अमेरिका के साथ अपने संबंध मजबूत बनाए रखना चाहता है।
अभी हाल ही में भारत सरकार ने Google Tax हटाने का फैसला लिया, ताकि अमेरिकी कंपनियों के साथ व्यापारिक संबंध बेहतर बनाए जा सकें।
अगर भारत वेनेजुएला से तेल खरीदता है, तो उसे अमेरिका से विशेष छूट (waiver) लेनी पड़ सकती है।
चीन की स्थिति और वैश्विक प्रभाव
चीन वेनेजुएला का सबसे बड़ा ग्राहक है, लेकिन खबरें आ रही हैं कि अप्रैल 2025 से चीनी कंपनियां वेनेजुएला से तेल खरीदना बंद कर सकती हैं।
अगर ऐसा हुआ, तो यह दिखाएगा कि चीन भी अमेरिकी प्रतिबंधों से बचने की कोशिश कर रहा है।
रूस और ईरान वेनेजुएला का समर्थन कर सकते हैं, लेकिन इससे स्थिति और जटिल हो जाएगी।
अगर भारत और चीन वेनेजुएला से तेल खरीदना बंद कर देते हैं, तो वैश्विक तेल आपूर्ति में कमी आएगी, जिससे तेल की कीमतें $80 प्रति बैरल से ऊपर जा सकती हैं।
अगर OPEC (सऊदी अरब, UAE, रूस) अपने उत्पादन में वृद्धि नहीं करता है, तो भारत और अन्य देशों को महंगा तेल खरीदना पड़ेगा।
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क्या अमेरिका खुद वेनेजुएला से तेल खरीद रहा है?
यहां एक मजेदार बात यह है कि ट्रंप वेनेजुएला से तेल खरीदने पर प्रतिबंध लगा रहे हैं, लेकिन अमेरिका खुद वेनेजुएला का तेल इनडायरेक्टली खरीद रहा है।
2024 में अमेरिका ने 2,28,000 बैरल प्रति दिन वेनेजुएला से आयात किया।
अब सवाल उठता है कि क्या ट्रंप खुद अमेरिका पर 25% टैरिफ लगाएंगे?
क्या यह मामला WTO में जा सकता है?
अगर अमेरिका इस नीति को लागू करता है, तो अन्य देश इसे वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन (WTO) में चुनौती दे सकते हैं।
अमेरिका का यह कदम एक अनुचित व्यापार बाधा (Unfair Trade Barrier) माना जा सकता है।
अगर चीन और भारत इस नीति का विरोध करते हैं, तो यह एक नए आर्थिक शीतयुद्ध (Economic Cold War) की शुरुआत हो सकती है।
निष्कर्ष
डोनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ को एक हथियार बना दिया है, जिससे भारत और अन्य देशों को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।
भारत के लिए यह कठिन स्थिति है, क्योंकि उसे सस्ता तेल भी चाहिए और अमेरिका के साथ अच्छे संबंध भी रखने हैं।
चीन अभी तक इस मुद्दे पर असमंजस में है, लेकिन संकेत हैं कि वह वेनेजुएला से तेल खरीदना कम कर सकता है।
अगर भारत और चीन वेनेजुएला से तेल खरीदना बंद कर देते हैं, तो इससे वैश्विक तेल बाजार में संकट खड़ा हो सकता है।
अब देखना यह होगा कि भारत अमेरिका से कोई छूट (waiver) लेने की कोशिश करता है या नहीं।