नया इनकम टैक्स बिल 2025: डिजिटल डेटा एक्सेस पर विवाद और इसका प्रभाव
परिचय:
भारत सरकार ने हाल ही में नया इनकम टैक्स बिल 2025 पेश किया है, जिसका उद्देश्य 1961 के पुराने इनकम टैक्स कानून को बदलना है। इस नए कानून को लेकर चर्चा इसलिए हो रही है क्योंकि इसमें डिजिटल डेटा एक्सेस को लेकर बड़े बदलाव किए गए हैं। यह बिल इनकम टैक्स अधिकारियों को नागरिकों के ईमेल, बैंक अकाउंट, डीमैट अकाउंट, सोशल मीडिया और अन्य डिजिटल स्पेस तक पहुंचने की अनुमति देता है। इससे टैक्स चोरी की जांच को आसान बनाया जा सकेगा, लेकिन कई विशेषज्ञ इसे निजता (Privacy) के अधिकार का उल्लंघन मान रहे हैं।
क्या है नया इनकम टैक्स बिल 2025?
भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत Income Tax Act 2025 मौजूदा टैक्स कानूनों को सरल और प्रभावी बनाने के लिए लाया गया है। इसके तहत:
1. डिजिटल स्पेस की जांच:
- इनकम टैक्स अधिकारी अब किसी व्यक्ति का ईमेल, बैंक अकाउंट, ऑनलाइन ट्रेडिंग अकाउंट, सोशल मीडिया और क्लाउड स्टोरेज की तलाशी ले सकते हैं।
- यदि कोई व्यक्ति अपने पासवर्ड साझा करने से इनकार करता है, तो अधिकारी उसे बायपास करके भी एक्सेस कर सकते हैं।
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2. किन अधिकारियों को मिलेगी यह पावर?
- जॉइंट डायरेक्टर, जॉइंट कमिश्नर, असिस्टेंट डायरेक्टर और असिस्टेंट कमिश्नर को यह अधिकार दिया जाएगा।
- ये अधिकारी 1 अप्रैल 2026 से डिजिटल डेटा की जांच कर सकेंगे।
3. वर्तमान कानून से अंतर:
- 1961 के इनकम टैक्स एक्ट में डिजिटल डेटा एक्सेस को स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं किया गया था।
- अधिकारी कंपनी के दस्तावेज, लैपटॉप और हार्ड डिस्क की जांच कर सकते थे, लेकिन डिजिटल डेटा एक्सेस को लेकर कानूनी अस्पष्टता थी।
विशेषज्ञों की राय और विवाद:
इस बिल को लेकर विशेषज्ञों और विपक्षी दलों ने विरोध किया है। उनका मानना है कि:
✔️ अनलिमिटेड पावर: यह कानून अधिकारियों को बिना किसी निगरानी (Judicial Oversight) के व्यक्तिगत डेटा तक पहुंचने की अनुमति देता है, जिससे दुरुपयोग की संभावना बढ़ जाती है।
✔️ निजता का उल्लंघन: 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने राइट टू प्राइवेसी (Right to Privacy) को मौलिक अधिकार (Fundamental Right) घोषित किया था। यह बिल इस अधिकार के खिलाफ जा सकता है।
✔️ विरोध और आलोचना: कांग्रेस पार्टी ने इस बिल को लेकर सरकार की आलोचना करते हुए इसे सर्विलांस स्टेट (Surveillance State) बनने की ओर कदम बताया है।
✔️ करदाताओं पर दबाव: नए कानून के तहत सिर्फ शक के आधार पर किसी का डिजिटल डेटा एक्सेस किया जा सकता है, जिससे करदाताओं को परेशानी हो सकती है।
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सरकार का पक्ष:
सरकार का कहना है कि यह बिल टैक्स चोरी को रोकने और डिजिटल एसेट्स को ट्रैक करने के लिए जरूरी है। अधिकारियों को यह अधिकार देना इसलिए आवश्यक है ताकि लोग अनडिस्क्लोज्ड डिजिटल संपत्तियां छिपा न सकें।
क्या यह बिल सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है?
कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, अगर यह कानून लागू होता है, तो इसे सुप्रीम कोर्ट में आर्टिकल 21 (निजता का अधिकार) के उल्लंघन के आधार पर चुनौती दी जा सकती है।
निष्कर्ष:
नया इनकम टैक्स बिल 2025 एक क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है, लेकिन निजता और अधिकारों के हनन का मुद्दा भी इससे जुड़ा हुआ है। अब देखना होगा कि यह कानून आम जनता और व्यापारियों के लिए कितना फायदेमंद या नुकसानदायक साबित होता है।
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