क्या पाकिस्तान भारत के साथ वॉटर वॉर शुरू करना चाहता है | इंडस वाटर ट्रीटी सस्पेंशन का बड़ा संकेत

क्या पाकिस्तान भारत के साथ वॉटर वॉर शुरू करना चाहता है?| इंडस वाटर ट्रीटी सस्पेंशन का बड़ा संकेत

हाल ही में भारत ने इंडस वाटर ट्रीटी को औपचारिक रूप से तोड़ा नहीं, लेकिन अस्थायी रूप से सस्पेंड कर दिया है। इस कदम ने भारत-पाकिस्तान संबंधों में एक नई और संवेदनशील बहस को जन्म दिया है। पाकिस्तान इसे एक ‘वॉटर वॉरफेयर’ की शुरुआत मान रहा है और वहां के पपेट नेता इस फैसले को लेकर भारत को खुलेआम धमकियाँ दे रहे हैं। लेकिन क्या वाकई में पाकिस्तान एक स्मॉल स्केल युद्ध की ओर बढ़ रहा है?

Indus Water Treaty suspension


पीओके के प्रधानमंत्री की उकसावे वाली भाषा

पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) के 'वज़ीर-ए-आज़म' चौधरी अनवारुल हक ने हाल ही में एक बयान में कहा कि “भारत को कीमत चुकानी होगी — कश्मीर से लेकर दिल्ली तक।” उन्होंने एलओसी को ‘खूनी लकीर’ कहा और दावा किया कि यदि भारत ने ‘जुल्म’ बंद नहीं किया, तो पाकिस्तानी नौजवान LOC पार करेंगे। यह न केवल उकसावे भरा बयान है बल्कि साफ संकेत है कि पाकिस्तान एक बार फिर आतंकवादी गतिविधियों के माध्यम से भारत को उकसाने की कोशिश कर रहा है।



भारत की रणनीतिक प्रतिक्रिया

भारत ने इस पूरे मामले पर कोई उत्तेजक बयान नहीं दिया, लेकिन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जनवरी 2025 में साफ तौर पर कहा था कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में मौजूद आतंकवादी इंफ्रास्ट्रक्चर को खत्म करना जरूरी है। इससे संकेत मिलता है कि भारत स्थिति की गंभीरता को समझ रहा है और संभव है कि भविष्य में सर्जिकल स्ट्राइक या एयर स्ट्राइक जैसे कदम उठाए जाएं।

इंडस वाटर ट्रीटी का सस्पेंशन: क्या है इसके मायने?

इंडस वाटर ट्रीटी 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई थी, जिसमें 6 नदियों का जल बंटवारा किया गया था। भारत ने अब इसे सस्पेंड किया है, जिसका मतलब है कि भारत अब पाकिस्तान को फ्लड डाटा साझा नहीं करेगा। यह डेटा पाकिस्तान के लिए बाढ़ प्रबंधन में बेहद अहम होता है।

बिना इस डेटा के पाकिस्तान को यह अंदाजा नहीं होगा कि भारत से पानी कब छोड़ा गया और कितनी मात्रा में छोड़ा गया। यह भविष्य में पाकिस्तान के लिए बड़ी पर्यावरणीय और इकोनॉमिक चुनौती बन सकती है।

क्या पाकिस्तान जवाब में डैम्स पर हमला करेगा?

पाकिस्तानी मीडिया में इस बात की चर्चा हो रही है कि पाकिस्तान भारत के डैम्स पर हमला कर सकता है ताकि पानी का बहाव फिर से पाकिस्तान की ओर मोड़ा जा सके। यह न केवल एक गैर-कानूनी और आतंकी कदम होगा, बल्कि इससे पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय छवि और भी ज्यादा धूमिल हो जाएगी।



दुनिया की प्रतिक्रिया: खामोशी ही संकेत है

सबसे दिलचस्प बात यह है कि अमेरिका, रूस, चीन जैसे वैश्विक शक्तियों ने इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं की है। पाकिस्तान बार-बार इसे ‘इंटरनेशनल ट्रीटी’ बता रहा है, लेकिन कोई देश भारत को इसके लिए दोषी नहीं ठहरा रहा। इसका मतलब है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस मुद्दे में भारत के रुख को समझ रहा है और पाकिस्तान की उकसावे वाली राजनीति से थक चुका है।

क्या भारत को अब आक्रामक होना चाहिए?

आज के हालात को देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि भारत के पास अब कई मजबूत कार्ड्स हैं — जल संसाधन नियंत्रण, मिलिटरी स्ट्राइक ऑप्शंस, और डिप्लोमैटिक साइलेंस। पाकिस्तान की तुलना में भारत कहीं अधिक रणनीतिक रूप से सक्षम है।

पाकिस्तान एक ज़ॉम्बी की तरह व्यवहार कर रहा है — जो न अपनी भलाई सोचता है और न पड़ोसी की। लेकिन भारत को संयम के साथ साथ आवश्यक प्रतिक्रिया देने के लिए तैयार रहना चाहिए

निष्कर्ष

पाकिस्तान की धमकियाँ, पीओके के पपेट नेताओं की भाषा, और आतंक के सहारे युद्ध छेड़ने की रणनीति न केवल असफल होगी, बल्कि पाकिस्तान को और भी अलग-थलग कर देगी। भारत को अब सिर्फ कूटनीति नहीं, रणनीतिक दबाव और जवाबी कार्रवाई के लिए भी तैयार रहना चाहिए।

क्या भारत को पीओके में आतंकी ठिकानों पर दोबारा स्ट्राइक करनी चाहिए? नीचे कमेंट में अपनी राय जरूर दीजिए।


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