पहलगाम आतंकी हमला 2025: कश्मीर में बढ़ते आतंक का संकेत और पाकिस्तान का विवादित किरदार
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के खूबसूरत पहलगाम क्षेत्र में एक दर्दनाक आतंकी हमला हुआ, जिसमें 26 निर्दोष पर्यटकों की जान चली गई और 17 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हुए। यह हमला न केवल सुरक्षा तंत्र के लिए एक बड़ा झटका है, बल्कि भारत की आंतरिक सुरक्षा और विदेश नीति के लिए भी एक गंभीर चेतावनी है।
हमले की जिम्मेदारी और कारण
इस हमले की जिम्मेदारी एक नए उभरते आतंकी संगठन ‘कश्मीर रेजिस्टेंस’ ने ली है। इस संगठन ने अपने दावे में कहा कि यह हमला 2019 में अनुच्छेद 370 हटाने के बाद कश्मीर की जनसांख्यिकी में बदलाव के विरोध में किया गया है। संगठन ने विशेष रूप से बाहर से आने वाले लोगों की बसावट को "कश्मीर की अस्मिता के खिलाफ" बताया है।
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क्यों है यह हमला इतना महत्वपूर्ण?
पहलगाम हमला कई वजहों से असाधारण है:
- यह हाल के वर्षों में नागरिकों पर सबसे बड़ा आतंकी हमला है।
- हमले के समय अमेरिकी उपराष्ट्रपति जे.डी. वेंस भारत यात्रा पर थे, जिससे यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान का केंद्र बन गया।
- यह हमला पर्यटन क्षेत्र को प्रभावित कर सकता है, जो कश्मीर की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है।
पाकिस्तान की भूमिका और सेना प्रमुख का भड़काऊ बयान
हमले के कुछ ही सप्ताह पहले पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर ने कश्मीर मुद्दे पर भड़काऊ भाषण दिया था। उन्होंने कहा था:
"कश्मीर एक दिन पाकिस्तान का हिस्सा बनेगा। यह हमारे ईमान का हिस्सा है।"
उन्होंने भारत की ‘हिंदुत्वा विचारधारा’ को "दुनिया के लिए खतरा" बताया और यह दावा किया कि भारत कश्मीरियों पर "सांस्कृतिक नरसंहार" कर रहा है। ऐसे बयान स्पष्ट संकेत देते हैं कि पाकिस्तान न केवल कूटनीतिक रूप से बल्कि वैचारिक रूप से भी कश्मीर में सक्रिय आतंकी समूहों को समर्थन देता रहा है।
भारत की प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी सऊदी अरब यात्रा को बीच में छोड़कर भारत लौटने का निर्णय लिया और तुरंत एक आपात बैठक की। भारत सरकार ने हमले के पीछे पाकिस्तान आधारित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन की संलिप्तता की बात कही है।
रक्षा मंत्री ने कड़ा बयान जारी करते हुए कहा:
“यह हमला हमारे धैर्य की परीक्षा है, लेकिन भारत की सेना और सुरक्षा एजेंसियां मुंहतोड़ जवाब देने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।”
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क्या कहता है अंतरराष्ट्रीय समुदाय?
अमेरिका, फ्रांस, जापान और यूरोपीय यूनियन ने इस हमले की कड़ी निंदा की है। अमेरिकी उपराष्ट्रपति ने कहा:
“भारत के निर्दोष नागरिकों पर हुआ यह हमला मानवता के खिलाफ है। अमेरिका भारत के साथ खड़ा है।”
इससे यह स्पष्ट है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय अब कश्मीर की घटनाओं को केवल क्षेत्रीय मुद्दा नहीं मानता, बल्कि इसे वैश्विक आतंकवाद से जोड़कर देखता है।
पहलगाम हमला: भारत के लिए आगे की राह
इस हमले के बाद भारत के सामने कई प्रमुख विकल्प और चुनौतियां हैं:
- आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करना: संवेदनशील पर्यटन स्थलों और अमरनाथ यात्रा जैसे आयोजनों के लिए सुरक्षा व्यवस्था को पुनः समीक्षा करना होगा।
- राजनीतिक जवाब: पाकिस्तान के खिलाफ कूटनीतिक दबाव बढ़ाना, जैसे UN में मामला उठाना।
- रणनीतिक प्रतिकार: आतंकी ठिकानों पर लक्षित कार्रवाई की रणनीति बनाना, जैसा भारत ने 2016 में सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 में एयर स्ट्राइक में किया था।
निष्कर्ष
पहलगाम आतंकी हमला केवल एक क्षेत्रीय घटना नहीं है, यह भारत की सुरक्षा, विदेश नीति, और आतंक के खिलाफ उसकी वैश्विक छवि के लिए एक गंभीर चुनौती है। भारत सरकार की प्रतिक्रिया और अंतरराष्ट्रीय समर्थन आने वाले समय में इस हमले का निर्णायक जवाब बन सकता है।
यह समय है जब भारत को न केवल सैन्य और कूटनीतिक रूप से, बल्कि वैश्विक मंचों पर भी पाकिस्तान के आतंकी नेटवर्क के खिलाफ एकजुट स्वर में आवाज़ उठानी चाहिए।