पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में झेलम नदी पर जल संकट: भारत पर बिना सूचना पानी छोड़ने का आरोप

पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में झेलम नदी पर जल संकट: भारत पर बिना सूचना पानी छोड़ने का आरोप

हाल ही में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) के मुजफ्फराबाद क्षेत्र में अचानक झेलम नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ने के कारण आपातकाल (Emergency) घोषित कर दिया गया। पाकिस्तानी मीडिया और कुछ बांग्लादेशी मीडिया आउटलेट्स ने भारत पर आरोप लगाया है कि बिना किसी पूर्व सूचना के भारत ने बड़ी मात्रा में पानी छोड़ दिया, जिससे हालात बिगड़ गए।



क्या है पूरा मामला?

झेलम नदी, जो भारत के जम्मू-कश्मीर से शुरू होती है और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर होते हुए पाकिस्तान के भीतर बहती है, अचानक जल स्तर में भारी वृद्धि देखी गई। कई स्थानों पर मस्जिदों से एलान कर लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने की चेतावनी दी गई। पाकिस्तानी मीडिया, खासकर डॉन न्यूज ने दावा किया कि भारत ने आबी जहरत (Water Warfare) की शुरुआत कर दी है।



भारत का पक्ष क्या है?

भारत ने अभी तक इस घटना पर आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है, लेकिन यह समझना जरूरी है कि भारत अब इंडस वॉटर ट्रीटी (Indus Water Treaty) के तहत पाकिस्तान को नदियों के प्रवाह की नियमित जानकारी देने के लिए बाध्य नहीं है। 2023 में भारत ने इंडस वॉटर ट्रीटी को सस्पेंड करने का फैसला लिया था, जिसके बाद भारत को अधिकार मिल गया कि वह पानी के प्रवाह को अपनी जरूरतों और रणनीति के अनुसार नियंत्रित कर सके।

इंडस वॉटर ट्रीटी और झेलम नदी का महत्व

1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक की मध्यस्थता में इंडस वॉटर ट्रीटी साइन की गई थी। इसके तहत तीन पूर्वी नदियां (रावी, ब्यास, सतलुज) भारत को दी गईं और तीन पश्चिमी नदियां (इंडस, झेलम, चेनाब) पाकिस्तान को। झेलम नदी पश्चिमी नदियों में से एक है, जिस पर पाकिस्तान की जल आपूर्ति और कृषि व्यवस्था काफी हद तक निर्भर करती है।

भारत ने हाल के वर्षों में झेलम नदी पर किशनगंगा हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट जैसे महत्वपूर्ण बांध बनाए हैं, जिससे पानी को स्टोर और नियंत्रित करना संभव हो गया है। यह भारत को रणनीतिक बढ़त भी देता है।

पाकिस्तान पर संभावित प्रभाव

अगर भारत निरंतर झेलम नदी का जल प्रवाह नियंत्रित करता है या उसमें कटौती करता है, तो भविष्य में पाकिस्तान को गंभीर जल संकट का सामना करना पड़ सकता है। कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, अगले 6-7 वर्षों में पाकिस्तान अपनी 40% पानी की आपूर्ति खो सकता है। इससे पाकिस्तान की कृषि, उद्योग और सामान्य जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हो सकता है।

भारत के पास अब इतने बड़े डैम्स और जल प्रबंधन की क्षमता है कि वह जल प्रवाह को नियंत्रित कर सकता है। यह एक प्रकार का स्ट्रेटेजिक वाटर डिप्लोमेसी बन चुका है, जिसका पाकिस्तान के खिलाफ भविष्य में प्रभावी रूप से उपयोग किया जा सकता है।



आतंकवाद और जल नीति का संबंध

भारत के कई विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन देता रहेगा और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकवादी संगठनों को आश्रय देता रहेगा, भारत को जल नीति के जरिए दबाव बनाना चाहिए। इस घटना से पाकिस्तान को पहली बार असली झटका लगा है कि भारत अब जल संकट के जरिए भी जवाब दे सकता है।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएँ

हाल ही में न्यूयॉर्क टाइम्स में प्रकाशित एक लेख में बताया गया कि भारत के पास अब इतना जल नियंत्रण है कि अगर चाहे तो पाकिस्तान की कृषि अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचा सकता है। कई पाकिस्तानी राजनयिकों ने भी इस पर चिंता जताई है।

निष्कर्ष

झेलम नदी पर हालिया घटनाक्रम यह स्पष्ट करता है कि अब भारत अपनी जल शक्ति को लेकर और अधिक सजग और सक्रिय हो चुका है। पाकिस्तान को भी अब समझ में आना चाहिए कि आतंकवाद का समर्थन कर भारत को अस्थिर करने की उसकी नीति का जवाब अब केवल सैन्य मोर्चे पर नहीं, बल्कि जल मोर्चे पर भी मिल सकता है। आने वाले समय में जल नीति भारत और पाकिस्तान के बीच एक बड़ा मुद्दा बन सकता है।

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