वक्फ एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार का रुख: संविधानिक नजरिया

वक्फ एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार का रुख: संविधानिक नजरिया

वक्फ एक्ट (Waqf Act) को लेकर हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में एक महत्वपूर्ण सुनवाई हुई, जिसमें केंद्र सरकार ने अपना पक्ष मजबूती से प्रस्तुत किया। यह मामला भारत के संविधान, मौलिक अधिकारों और धर्मनिरपेक्षता के मूल सिद्धांतों से गहराई से जुड़ा हुआ है। खासकर प्रतियोगी परीक्षाओं और समसामयिक घटनाओं की तैयारी करने वालों के लिए यह विषय बेहद प्रासंगिक बन गया है।

Supreme Court


वक्फ एक्ट की वैधानिकता और केंद्र का पक्ष

केंद्र सरकार ने न्यायालय में अपने जवाब में कहा कि वक्फ अधिनियम भारतीय संविधान के अनुरूप है। सरकार ने संविधान की सातवीं अनुसूची के अंतर्गत Concurrent List की प्रविष्टि 10 और 28 का हवाला देते हुए कहा कि धार्मिक और धर्मार्थ संस्थाओं पर कानून बनाना राज्य और केंद्र, दोनों के अधिकार क्षेत्र में आता है। इसी आधार पर वक्फ अधिनियम को वैध ठहराया गया।



क्या वक्फ अधिनियम धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ है?

सरकार ने कोर्ट में स्पष्ट किया कि वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन के लिए कानून बनाना भारतीय धर्मनिरपेक्षता के विरुद्ध नहीं है। भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र में सभी धार्मिक संस्थाओं के संचालन के लिए राज्य विभिन्न कानून बनाता है — जैसे मंदिरों के प्रबंधन के लिए अलग कानून हैं। इसी तरह वक्फ संपत्तियों के लिए विशेष व्यवस्था की गई है, जो संविधान के दायरे में है।

याचिकाकर्ताओं की आपत्तियां

याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि वक्फ अधिनियम मुस्लिम धार्मिक संपत्तियों के लिए विशेष प्रावधान बनाता है, जिससे अन्य धार्मिक समुदायों के साथ भेदभाव होता है। उन्होंने इसे संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों के उल्लंघन के रूप में प्रस्तुत किया।

सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया

सुप्रीम कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए केंद्र सरकार से विस्तृत जवाब मांगा था। सरकार के स्पष्टीकरण के बाद कोर्ट अब यह तय करेगा कि वक्फ एक्ट संविधान के अनुरूप है या नहीं। अदालत इस मुद्दे को धर्मनिरपेक्षता, समानता और राज्य की निष्पक्षता के व्यापक संदर्भ में परखेगी।



वक्फ संपत्ति का महत्व

भारत में वक्फ संपत्तियां हजारों करोड़ रुपये मूल्य की हैं। ये संपत्तियां मुख्यतः मस्जिदों, दरगाहों, कब्रिस्तानों और धार्मिक शिक्षण संस्थाओं के उपयोग में आती हैं। इन संपत्तियों के संरक्षण और प्रबंधन के लिए वक्फ बोर्डों की स्थापना की गई है, जिन्हें वक्फ अधिनियम के तहत अधिकार प्राप्त हैं।

भविष्य की दिशा

यदि सुप्रीम कोर्ट वक्फ एक्ट को संविधान सम्मत मानता है, तो यह अन्य धार्मिक संपत्तियों के लिए भी एक मजबूत मिसाल बनेगा। वहीं, यदि अदालत अधिनियम में सुधार की जरूरत जताती है, तो केंद्र सरकार को इसमें बदलाव करने पड़ सकते हैं। किसी भी स्थिति में, यह फैसला भारतीय संविधान में धर्मनिरपेक्षता की व्याख्या को गहराई से प्रभावित करेगा।

निष्कर्ष

वक्फ एक्ट पर केंद्र सरकार का रुख भारतीय संविधान के मूल सिद्धांतों के अनुरूप बताया गया है। अब सभी की निगाहें सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिकी हैं, जो भारत में धार्मिक संपत्तियों के प्रबंधन और धर्मनिरपेक्षता के संतुलन को नई दिशा दे सकता है। इस विषय पर सतत नजर रखना सभी जागरूक नागरिकों और छात्रों के लिए आवश्यक है।

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