वक्फ अमेंडमेंट बिल 2025: केरल में क्यों मिला क्रिश्चियन समुदाय का समर्थन

 

वक्फ अमेंडमेंट बिल 2025: केरल में क्यों मिला क्रिश्चियन समुदाय का समर्थन?

वक्फ अमेंडमेंट बिल 2025 आखिरकार संसद से पास हो गया है। यह बिल 2 अप्रैल को लोकसभा से पास हुआ और फिर 3 अप्रैल की देर रात राज्यसभा से भी इसे मंजूरी मिल गई। इस बिल के समर्थन में 128 सांसदों ने वोट किया, जबकि 95 ने विरोध में। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट किया कि यह बिल "सोशल जस्टिस, ट्रांसपेरेंसी और इन्क्लूसिव ग्रोथ" के लिए एक वाटरशेड मोमेंट है।

हालांकि इस बिल को लेकर देशभर में बहस हो रही है, लेकिन केरल में इसका एक अलग ही रूप देखने को मिला, जहां क्रिश्चियन समुदाय, विशेष रूप से कैथोलिक संगठन, इस बिल के समर्थन में खुलकर सामने आए।

Waqf Amendment Bill 2025


केरल में मुनम लैंड विवाद क्या है?

कोची से लगभग 40 किलोमीटर दूर स्थित एक छोटा सा टाउन है मुनम, जहां लगभग 400 एकड़ जमीन को लेकर विवाद चल रहा है। यह विवाद केरल स्टेट वक्फ बोर्ड और लगभग 600 लैटिन कैथोलिक परिवारों के बीच है।

इस जमीन का इतिहास 1902 से जुड़ा है, जब त्रावणकोर की रॉयल फैमिली ने यह ज़मीन एक मुस्लिम व्यापारी अब्दुल सतार मोसा सईद को दी। बाद में 1950 में यह जमीन कोझिकोड स्थित फारूक कॉलेज को ट्रांसफर की गई, जिसने इसे वक्फ संपत्ति घोषित करते हुए वक्फ डीड तैयार कर दिया।

कैथोलिक परिवारों का दावा है कि वे दशकों से इस जमीन पर रह रहे हैं, लेकिन अब वक्फ बोर्ड उनसे जमीन खाली करवाने की कोशिश कर रहा है। 2022 से इन परिवारों से प्रॉपर्टी टैक्स नहीं लिया जा रहा, जिससे उनकी लीगल ओनरशिप पर सवाल उठ खड़े हुए हैं।



क्रिश्चियन समुदाय का समर्थन क्यों?

केरल में कैथोलिक बिशप काउंसिल और कैथोलिक बिशप कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया ने इस बिल को खुला समर्थन दिया। उनका कहना है कि वक्फ कानूनों का दुरुपयोग करके गैर-मुस्लिम समुदायों की जमीनों पर दावा किया जा रहा है, और उन्हें न्याय नहीं मिल पा रहा।

क्रिश्चियन संगठनों को लगता है कि वक्फ बोर्ड की प्रक्रिया में उनकी बात नहीं सुनी जाती, और मुनम का केस इस अन्याय का प्रतीक बन चुका है। इसलिए उन्होंने सभी सांसदों से अपील की थी कि वे संसद में इस बिल का समर्थन करें।

राजनीतिक पार्टियों की स्थिति

कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों (CPI(M)) ने इस बिल का विरोध किया। हालांकि, केरल के कुछ कांग्रेस सांसदों ने प्राइवेटली इस बिल का समर्थन भी किया क्योंकि उनका वोटबेस क्रिश्चियन समुदाय में भी है।

भाजपा के लिए यह एक अवसर बन गया है। अब तक केरल में भाजपा की जड़ें कमजोर रही हैं, लेकिन क्रिश्चियन समर्थन के जरिए वे अपने "हिंदू-क्रिश्चियन यूनिटी" नैरेटिव को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं।



मुस्लिम संगठनों की आपत्ति

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग सहित कई मुस्लिम संगठनों ने इस बिल का कड़ा विरोध किया है। उनका तर्क है कि यह बिल संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ है और इससे मुस्लिम संस्थाओं की स्वायत्तता प्रभावित होगी।

भारत में वक्फ की संपत्तियों की स्थिति

भारत में वक्फ के पास करीब 8.7 लाख इमूवेबल प्रॉपर्टीज हैं, जिनमें सबसे ज्यादा प्रॉपर्टी उत्तर प्रदेश में स्थित हैं।

● उत्तर प्रदेश – 2.3 लाख
● पश्चिम बंगाल – 80,000+
● पंजाब – 75,000+
● तमिलनाडु – 66,000+
● कर्नाटका – 62,000+
● गुजरात – 39,000+

इनमें से 55% प्रॉपर्टी कब्रिस्तानों के रूप में रजिस्टर्ड हैं। बाकी प्रॉपर्टीज में मस्जिद, दुकानें और कृषि भूमि शामिल हैं।

निष्कर्ष

वक्फ अमेंडमेंट बिल 2025 केवल एक कानूनी संशोधन नहीं है, बल्कि यह भारत के सामाजिक और राजनीतिक ताने-बाने में बदलाव की कहानी कहता है। केरल में क्रिश्चियन समुदाय द्वारा दिए गए समर्थन ने इस बिल को नया मोड़ दे दिया है। वहीं मुस्लिम संगठनों की चिंताएं भी गंभीर हैं, जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने