डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी से भारत के स्टॉक मार्केट में बड़ी गिरावट | जानिए इसका असर आईटी, फार्मा और मेटल सेक्टर पर
परिचय
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में टैरिफ को लेकर एक बड़ी घोषणा की है, जिसके बाद से वैश्विक बाजारों में हड़कंप मच गया है। अमेरिका का प्रमुख इंडेक्स Dow Jones 4% तक गिर गया, जबकि टेक इंडेक्स NASDAQ में 6% की बड़ी गिरावट दर्ज की गई। इसका सीधा असर भारत के शेयर बाजार पर भी देखने को मिला, जहां विशेष रूप से आईटी सेक्टर को तगड़ा झटका लगा।
भारत में आईटी स्टॉक्स क्यों गिरे?
भारतीय आईटी कंपनियों की बड़ी आमदनी अमेरिका से होती है। जब अमेरिका में व्यापार के लिए बाधाएं बढ़ती हैं, तो इन कंपनियों के राजस्व पर सीधा प्रभाव पड़ता है।
Nifty IT Index में लगभग 3.5% से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई, जो कि Nifty 50 की तुलना में कहीं अधिक है।
प्रमुख आईटी कंपनियां जैसे TCS, Infosys और HCL के शेयरों में 3% से 4% तक की गिरावट देखने को मिली।
जनवरी 2025 से अब तक Nifty 50 में जहां करीब 3% की गिरावट हुई है, वहीं Nifty IT में लगभग 22-23% की गिरावट देखी गई है।
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फार्मा और मेटल सेक्टर पर भी असर
शुरुआत में यह खबर आई थी कि अमेरिकी टैरिफ से भारतीय फार्मास्युटिकल्स सेक्टर को छूट मिलेगी। इसी उम्मीद पर Nifty Pharma Index में 2% तक की तेजी देखने को मिली थी।
लेकिन बाद में ट्रंप ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि फार्मा पर भी टैरिफ लगाया जाएगा। इसका असर ये हुआ कि अगले दिन फार्मा इंडेक्स में लगभग 3% से ज्यादा की गिरावट आई।
मेटल सेक्टर और फार्मा कंपनियों पर भी दबाव बढ़ा, और BSE में लिस्टेड शेयरों का कुल मार्केट कैप ₹1 लाख करोड़ तक घट गया।
ट्रेड वॉर का खतरा
डोनाल्ड ट्रंप ने ऐलान किया कि सभी इम्पोर्टेड गुड्स पर 10% का टैरिफ लगेगा। भारत पर 26%, चीन पर 34%, यूरोपियन यूनियन पर 20%, और जापान-मेक्सिको पर 18% तक की टैरिफ दरें घोषित की गई हैं।
जवाब में चीन ने भी सभी अमेरिकी सामानों पर 34% टैरिफ लगाने की बात कही है। इसके साथ ही चीन ने क्रिटिकल रियर अर्थ मिनरल्स के एक्सपोर्ट को रोकने की भी धमकी दी है, जो अमेरिका के टेक सेक्टर को बड़ा झटका दे सकता है।
ग्लोबल मार्केट में असर
अमेरिका में गिरावट के बाद यूरोप और एशिया के इंडेक्स भी गिरे।
यूरोपियन इंडेसेस में 2% से 3% की गिरावट
जापान का निक्केई और चाइना का शंघाई कंपोजिट इंडेक्स भी 3% से 5% तक टूट गए
निवेशकों ने जोखिम से बचने के लिए गोल्ड और बॉन्ड्स जैसे सेफ हेवन एसेट्स की ओर रुख किया
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अमेरिकी इकोनॉमी में इनफ्लेशन और फेड का रिएक्शन
टैरिफ की वजह से अमेरिका और ज्यादा महंगाई आ सकती है।
इसका मतलब है कि फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में कटौती नहीं करेगा, बल्कि दरें और बढ़ा सकता है।
अगर ऐसा होता है तो एफआईआई (Foreign Institutional Investors) भारत जैसे उभरते बाजारों से पैसा निकाल सकते हैं और अमेरिका में निवेश बढ़ा सकते हैं।
भारत के लिए व्यापक असर
आईटी, फार्मा और स्टील सेक्टर पर सीधा असर
कमोडिटी कीमतों में अस्थिरता बढ़ेगी (जैसे तेल और मेटल्स)
रुपया कमजोर हो सकता है
भारत का एक्सपोर्ट रेवेन्यू प्रभावित होगा
वैश्विक मंदी का खतरा बढ़ा, IMF जल्द ही GDP ग्रोथ का अनुमान घटा सकता है
ग्लोबल सप्लाई चेन में गंभीर बाधाएं आ सकती हैं
निष्कर्ष
डोनाल्ड ट्रंप की नई टैरिफ पॉलिसी ने ग्लोबल इकॉनमी में अस्थिरता बढ़ा दी है। भारत के शेयर बाजार, विशेष रूप से आईटी और फार्मा सेक्टर, इस नीति से सीधे प्रभावित हो रहे हैं। आगे अगर ट्रेड वॉर और बढ़ता है, तो इसका असर न केवल भारत बल्कि वैश्विक व्यापार प्रणाली पर भी पड़ेगा। निवेशकों को सतर्क रहने की ज़रूरत है और लॉन्ग टर्म व्यू के साथ अपने निवेश की रणनीति बनानी चाहिए।