भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत: क्या वाकई बुरा समय पीछे छूट गया है?
भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर हाल ही में कई महत्वपूर्ण अपडेट सामने आए हैं। पिछले कुछ तिमाहियों में आर्थिक वृद्धि की गति धीमी रही थी, लेकिन अब रिपोर्ट्स के मुताबिक अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत दिखाई दे रहे हैं। BNP Paribas और अन्य रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत की GDP ग्रोथ में स्थिरता लौट रही है। इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे कि अर्थव्यवस्था में सुधार के पीछे क्या कारण हैं और आगे की संभावनाएं क्या हैं।
भारतीय अर्थव्यवस्था: ताजा रिपोर्ट्स और आंकड़े
भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति को समझने के लिए हमें हाल ही के जीडीपी आंकड़ों पर नजर डालनी होगी।
पिछली तिमाही (Q2 2024-25) में GDP ग्रोथ घटकर 5.4% रह गई थी, जिससे चिंता की स्थिति उत्पन्न हुई थी। हालांकि, BNP Paribas और अन्य संस्थानों की रिपोर्ट्स के अनुसार, Q3 के आंकड़े (जो जल्द ही जारी होंगे) उम्मीद से बेहतर हो सकते हैं।
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आर्थिक सुधार के प्रमुख संकेत
1. ऑर्डर बुक में बढ़ोतरी और निर्यात में सुधार
भारतीय कंपनियों को नए ऑर्डर मिल रहे हैं, जिससे मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को मजबूती मिल रही है। इसके अलावा, कृषि निर्यात में वृद्धि और रूरल वेज ग्रोथ भी आर्थिक सुधार के संकेत दे रहे हैं।
2. औद्योगिक उत्पादन और टैक्स कलेक्शन में बढ़ोतरी
इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन, स्टील प्रोडक्शन, ऑटो सेल्स और टैक्स कलेक्शन में वृद्धि देखी गई है। इसका मतलब यह है कि कंपनियां अधिक उत्पादन कर रही हैं और ग्राहकों की खरीदारी भी बढ़ रही है।
3. मुद्रास्फीति (Inflation) में गिरावट
हाल ही में, भारत में खुदरा महंगाई (CPI) दर 4.2% तक गिर गई है, जो कि भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के 2-6% लक्ष्य सीमा के भीतर है। हालांकि, फूड इंफ्लेशन (खाद्य महंगाई) अभी भी 6% से अधिक बनी हुई है, लेकिन इसमें भी गिरावट देखी जा रही है। इससे उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी और खर्च करने की क्षमता बढ़ेगी।
4. सरकारी पूंजीगत व्यय (Capital Expenditure) में बदलाव
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा 2024-25 के लिए कैपिटल एक्सपेंडिचर टारगेट ₹11.1 लाख करोड़ रखा गया था, जिसे अब ₹10.2 लाख करोड़ कर दिया गया है। इससे संकेत मिलता है कि सरकार फिस्कल डेफिसिट को नियंत्रित करने की दिशा में काम कर रही है।
5. इनकम टैक्स में राहत और डिस्पोजेबल इनकम में वृद्धि
हाल ही में इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव किए गए हैं, जिससे 12.75 लाख तक की सैलरी पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। इससे मध्यम वर्गीय लोगों के पास अधिक खर्च करने योग्य आय (Disposable Income) होगी, जिससे ऑटोमोबाइल, हेल्थकेयर, ट्रैवल, ज्वेलरी जैसे सेक्टर्स में ग्रोथ देखने को मिल सकती है।
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क्या भारतीय अर्थव्यवस्था अपनी क्षमता से कम बढ़ रही है?
पूर्व RBI गवर्नर रघुराम राजन के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत तो हैं, लेकिन विकास दर अभी भी हमारी पूरी क्षमता तक नहीं पहुंची है। भारत को उच्च रोजगार सृजन और अधिक आर्थिक गतिविधियों के लिए 7% से अधिक की ग्रोथ दर की आवश्यकता है।
आगे की संभावनाएं और चुनौतियां
- रुपये का प्रदर्शन: डॉलर के मुकाबले रुपये की स्थिरता भी आर्थिक सुधार के लिए महत्वपूर्ण होगी।
- निजी निवेश में वृद्धि: निजी क्षेत्र के निवेश को बढ़ावा देने की जरूरत है ताकि अधिक नौकरियां उत्पन्न हो सकें।
- फूड इंफ्लेशन पर नियंत्रण: सरकार को खाद्य महंगाई को कम करने के लिए आवश्यक कदम उठाने होंगे।
- इंटरनेशनल मार्केट का प्रभाव: वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिति और विदेशी निवेश भारत की ग्रोथ पर प्रभाव डाल सकते हैं।
निष्कर्ष
भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत जरूर मिल रहे हैं, लेकिन अब भी कई चुनौतियां बनी हुई हैं। अगर सरकार और निजी क्षेत्र सही नीतियों के साथ आगे बढ़ते हैं, तो भारत आने वाले वर्षों में 9% से अधिक की जीडीपी ग्रोथ हासिल कर सकता है।