भारत में डीजल डिमांड ग्रोथ में गिरावट: 4 साल का सबसे निचला स्तर क्यों

भारत में डीजल डिमांड ग्रोथ में गिरावट: 4 साल का सबसे निचला स्तर क्यों?

भारत में डीजल की मांग हमेशा से आर्थिक गतिविधियों का एक प्रमुख संकेतक रही है। चाहे वह सड़क परिवहन हो, कृषि, रेलवे या कंस्ट्रक्शन सेक्टर — डीजल हर जगह जरूरी ईंधन रहा है। लेकिन हाल ही में सामने आए सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2024-25 में डीजल की मांग में केवल 2% की वृद्धि दर्ज की गई है, जो कि पिछले 4 वर्षों में सबसे कम है।

Diesel consumption India


क्या है गिरावट का कारण?

इस गिरावट के पीछे कई आर्थिक, तकनीकी और पर्यावरणीय कारण जिम्मेदार माने जा रहे हैं। आइए जानते हैं विस्तार से:

  1. इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती संख्या: इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर, थ्री-व्हीलर और बसों के कारण डीजल वाहन धीरे-धीरे कम हो रहे हैं।
  2. सरकारी नीतियाँ: कई राज्य सरकारें डीजल वाहनों पर प्रतिबंध लगा रही हैं, खासकर दिल्ली-NCR में।
  3. LNG और CNG विकल्प: भारी वाहनों को LNG और CNG में कन्वर्ट करने की योजनाएं डीजल की खपत को घटा रही हैं।
  4. पर्यावरणीय दबाव: डीजल प्रदूषण का बड़ा स्रोत माना जाता है। NGT और सुप्रीम कोर्ट ने समय-समय पर इसके खिलाफ सख्त रुख अपनाया है।
  5. महंगा डीजल: पेट्रोलियम उत्पादों पर लगने वाला भारी टैक्स डीजल को आम जनता की पहुंच से दूर कर रहा है।


आंकड़ों में गिरावट की तस्वीर

सरकारी तेल कंपनियों के अनुसार, 2023-24 में डीजल की मांग 91.4 मिलियन टन रही, जबकि 2022-23 में यह 89.6 मिलियन टन थी। यानि मांग में वृद्धि मात्र 2% रही, जबकि 2022-23 में यह वृद्धि लगभग 12% थी। यह दर्शाता है कि डीजल ग्रोथ ग्राफ नीचे की ओर जा रहा है।

कौन-कौन से सेक्टर प्रभावित हो रहे हैं?

  • परिवहन क्षेत्र: देश में चलने वाली ज्यादातर ट्रकों और बसों का ईंधन डीजल है, लेकिन अब इनकी संख्या स्थिर हो रही है।
  • रेलवे: रेलवे भी डीजल इंजनों को धीरे-धीरे इलेक्ट्रिक इंजनों से बदल रहा है।
  • कृषि: किसानों में भी सोलर और बैटरी से चलने वाले उपकरणों की मांग बढ़ रही है।

क्या डीजल की मांग और घटेगी?

विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वर्षों में भारत में डीजल की मांग और भी धीमी हो सकती है। सरकार की EV नीति, फ्यूल डाइवर्सिफिकेशन और ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने की वजह से डीजल का रोल धीरे-धीरे कम होता जा रहा है।



सरकार को कैसे निपटना होगा?

भारत सरकार को डीजल पर मिलने वाले टैक्स से बड़ी आमदनी होती है। अगर खपत कम होती है, तो राजस्व में भी गिरावट आएगी। ऐसे में सरकार को वैकल्पिक स्रोतों से टैक्स इकट्ठा करने की रणनीति बनानी होगी।

साथ ही डीजल सेक्टर में काम करने वाले लाखों लोगों के लिए नए स्किल डेवलपमेंट और रोजगार के मौके भी तलाशने होंगे।

क्या यह बदलाव सकारात्मक है?

पर्यावरण की दृष्टि से यह बदलाव अच्छा है। डीजल के मुकाबले इलेक्ट्रिक और ग्रीन फ्यूल क्लीन हैं और लंबे समय में भारत के कार्बन एमिशन लक्ष्य को पूरा करने में मदद करेंगे।

निष्कर्ष

भारत में डीजल डिमांड ग्रोथ में गिरावट एक बड़ा ट्रेंड है, जो सिर्फ आर्थिक नहीं बल्कि पर्यावरणीय और तकनीकी बदलावों को भी दर्शाता है। अब वक्त है कि हम इस ट्रांजिशन को स्वीकार करें और भविष्य की तैयारी करें।

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने