एलपीजी सिलेंडर ₹50 महंगा, पेट्रोल-डीजल पर टैक्स बढ़ा - जानिए पूरा मामला
सरकार ने हाल ही में एलपीजी सिलेंडर की कीमतों में ₹50 की बढ़ोतरी की है, जिससे हर उपभोक्ता को अब और अधिक कीमत चुकानी पड़ेगी। चाहे आप सब्सिडाइज्ड ग्राहक हों या प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के लाभार्थी, यह बढ़ोतरी सभी पर लागू होगी।
नई कीमतें क्या हैं?
अब नॉन-सब्सिडाइज्ड LPG सिलेंडर ₹853 में मिलेगा, जबकि उज्जवला योजना के तहत मिलने वाला सिलेंडर ₹550 का हो गया है। पहले यह ₹803 और ₹500 में उपलब्ध था।
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कीमतें क्यों बढ़ाई गईं?
सरकार का कहना है कि तेल मार्केटिंग कंपनियों (OMCs) को पिछले कुछ महीनों में ₹43,000 करोड़ का नुक्सान हुआ है। इसका कारण यह है कि वैश्विक बाजार से महंगे दामों पर गैस खरीदकर उसे सस्ते दाम में बेचा जा रहा था।
इसके अलावा, रूस-यूक्रेन युद्ध, मिडिल ईस्ट में तनाव और डॉलर के मुकाबले कमजोर होता रुपया भी गैस इंपोर्ट को महंगा बना रहा है। इसी वजह से एलपीजी पर लागत बढ़ गई और कंपनियों को नुकसान हो रहा था।
सब्सिडी में बदलाव
सरकार फिजिकल डिसिप्लिन की बात कर रही है, यानी खर्चों पर नियंत्रण। इसलिए सब्सिडी को सीमित किया जा रहा है ताकि सरकारी बजट पर बोझ न पड़े। उज्जवला योजना में अब भी सब्सिडी दी जा रही है, लेकिन अन्य सभी को अब बिना सब्सिडी के सिलेंडर मिलेगा।
पेट्रोल और डीजल पर भी टैक्स बढ़ा
हालांकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्रूड ऑयल की कीमतों में गिरावट आई है, लेकिन भारत सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर ₹2 प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी बढ़ा दी है। अब पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी ₹13 और डीजल पर ₹10 प्रति लीटर हो गई है।
इसका सीधा मतलब है कि पेट्रोल-डीजल की कीमतें स्थिर रहेंगी, लेकिन सरकार को अधिक टैक्स मिलेगा। जबकि कच्चा तेल सस्ता होने से कीमतें घटनी चाहिए थीं, सरकार ने टैक्स बढ़ाकर उसे उसी स्तर पर बनाए रखा है।
आम जनता पर असर
- मिडल क्लास और लोअर मिडल क्लास फैमिली पर सबसे अधिक असर पड़ेगा।
- उज्जवला योजना के लाभार्थी LPG रिफिल कराने से हिचक सकते हैं।
- टी स्टॉल, स्ट्रीट फूड सेलर आदि छोटे व्यवसायों के लिए भी लागत बढ़ेगी।
- रूरल एरियाज में फिर से बायोमास फायर का उपयोग बढ़ सकता है।
सरकार को क्या फायदा?
इस कदम से सरकार को राजस्व बढ़ाने में मदद मिलेगी, जिससे वह अन्य योजनाओं में निवेश कर सकती है। साथ ही ऑयल कंपनियों की वित्तीय स्थिति भी सुधरेगी।
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पॉलिटिकल रिएक्शन
विपक्षी दलों खासकर कांग्रेस ने इस फैसले की आलोचना की है और कहा है कि सरकार जनता को अंतरराष्ट्रीय कीमतों में गिरावट का फायदा नहीं दे रही है।
क्या फिर बढ़ सकते हैं दाम?
पेट्रोलियम मंत्री जिनका नाम हरदीप सिंह पुरी है उन्होंने कहा है कि LPG की कीमतों की अब हर 2-3 हफ्ते में समीक्षा होगी। इसका मतलब है कि अगर वैश्विक बाजार में कीमतें बढ़ीं तो भारत में एलपीजी और महंगी हो सकती है।
निष्कर्ष
चुनावों से कुछ महीने पहले एलपीजी की कीमतें बढ़ना एक पॉलिटिकली सेंसेटिव मुद्दा बन सकता है। हालांकि पहले के वर्षों में देखा गया है कि चुनाव के समय सरकार कीमतें घटा भी सकती है।
अब सवाल आपसे: क्या आपको लगता है कि जब क्रूड ऑयल सस्ता हो रहा है, तब सरकार को जनता को इसका सीधा लाभ देना चाहिए था? अपनी राय नीचे कमेंट में जरूर बताएं।