PM Modi vs DMK: तमिल में सिग्नेचर से शुरू हुई बहस, जानिए पूरा मामला
रामेश्वरम, तमिलनाडु: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में तमिलनाडु के रामेश्वरम में नए पंबन ब्रिज के उद्घाटन के दौरान डीएमके सरकार और मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन पर तीखा हमला बोला। इस दौरान उन्होंने भाषा, क्षेत्रीय गर्व और केंद्र-राज्य संबंधों को लेकर कई महत्वपूर्ण टिप्पणियां कीं।
तमिल में सिग्नेचर क्यों बना बड़ा मुद्दा?
पीएम मोदी ने कहा, "अगर आप तमिल भाषा पर गर्व करते हैं तो कम से कम अपना सिग्नेचर तमिल में कीजिए।" यह टिप्पणी उन्होंने तमिलनाडु के नेताओं पर कटाक्ष करते हुए की, जो तमिल गर्व की बात तो करते हैं लेकिन पत्राचार और हस्ताक्षर में अंग्रेज़ी का उपयोग करते हैं।
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डीएमके बनाम बीजेपी: भाषा और फेडरलिज्म की जंग
तमिलनाडु की राजनीति में भाषा एक संवेदनशील मुद्दा रही है। 1960 के दशक में हुए Anti-Hindi agitation के बाद डीएमके की राजनीति को बल मिला था। डीएमके आज भी केंद्र सरकार पर हिंदी थोपने का आरोप लगाती है, खासकर New Education Policy में शामिल Three Language Formula को लेकर।
तमिलनाडु सरकार ने इस नीति को अस्वीकार करते हुए कहा है कि राज्य में सिर्फ तमिल और अंग्रेज़ी ही पढ़ाई जाएगी, हिंदी को किसी भी रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा।
पंबन ब्रिज का उद्घाटन और एमके स्टालिन की अनुपस्थिति
पीएम मोदी रामेश्वरम में नए पंबन ब्रिज के उद्घाटन समारोह में पहुंचे थे, जो भारत का पहला वर्टिकल लिफ्ट ब्रिज है। इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में मुख्यमंत्री स्टालिन की गैरहाज़िरी को लेकर भी विवाद खड़ा हो गया। बीजेपी नेताओं का कहना है कि यह प्रधानमंत्री का अपमान है।
पीएम मोदी का बड़ा दावा: फंड रोकने का आरोप गलत
प्रधानमंत्री ने डीएमके पर आरोप लगाया कि वे हमेशा केंद्र पर फंड रोकने का आरोप लगाते हैं। उन्होंने कहा कि "कुछ लोगों को रोने की आदत होती है।" पीएम मोदी ने यह भी कहा कि यूपीए सरकार की तुलना में एनडीए ने तमिलनाडु को तीन गुना ज़्यादा पैसा दिया है।
- रेलवे बजट: ₹900 करोड़ (यूपीए) बनाम ₹6000+ करोड़ (एनडीए)
- टैक्स डिवोल्यूशन: 32% से बढ़ाकर 42%
भाषा और शिक्षा: क्या तमिल में मेडिकल पढ़ाई शुरू हो?
पीएम मोदी ने सवाल उठाया कि अगर तमिल इतनी अहम है तो मेडिकल शिक्षा केवल अंग्रेज़ी में क्यों है? उन्होंने सुझाव दिया कि गरीब और ग्रामीण छात्रों की मदद के लिए मेडिकल एजुकेशन को तमिल में शुरू किया जाना चाहिए। यह बीजेपी की उस नीति के अनुरूप है जिसमें वो भारतीय भाषाओं में उच्च शिक्षा को बढ़ावा देना चाहती है।
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राजनीतिक रणनीति: 2026 के चुनाव की तैयारी?
यह पूरा घटनाक्रम केवल भाषा विवाद नहीं, बल्कि राजनीतिक रणनीति भी हो सकता है। 2026 में तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव हैं और बीजेपी डीएमके के खिलाफ जमीन तैयार कर रही है। ऐसी अटकलें हैं कि बीजेपी फिर से AIADMK के साथ गठबंधन कर सकती है और इसके लिए TN BJP प्रमुख के. अन्नामलाई को केंद्र लाया जा सकता है।
प्राचीन तमिल गौरव: पुहार – भारत का रोमन कनेक्शन
जहां भाषा और संस्कृति की बात हो, वहां तमिलनाडु का ऐतिहासिक महत्व भी याद रखना चाहिए। प्राचीन बंदरगाह पुहार (Puhar), जिसे Kaveripattinam भी कहा जाता है, एक प्रमुख व्यापार केंद्र था जहाँ से रोमन साम्राज्य के साथ व्यापार होता था।
निष्कर्ष
पीएम मोदी और डीएमके के बीच यह तकरार सिर्फ भाषाई गर्व या सिग्नेचर तक सीमित नहीं है। यह एक बड़ी राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक बहस का हिस्सा है जो भारत के संघीय ढांचे और विविधता को प्रतिबिंबित करती है। आगामी वर्षों में यह बहस और गहराई ले सकती है, खासकर जब राजनीतिक दल चुनावी रणनीतियां तेज़ करेंगे।
आपका क्या मत है? क्या सिग्नेचर भाषा को लेकर पीएम मोदी का बयान तर्कसंगत है या यह केवल चुनावी रणनीति है? कमेंट में ज़रूर बताएं।